उत्तर प्रदेश के कानपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर कस्बे में मां के चौथे स्वरुप मां कुष्मांडा देवी का मंदिर स्थित है. यहां पर मां की लेटी हुई प्रतिमा है. जो कि एक पिंडी के रुप में है. इस पिंडी से हमेशा पानी रिसता रहता है. माना जाता है कि यहां पर आने पर मां सभी की हर मनोकामना पूर्ण करती है. इस मंदिर के पास ही एक तालाब बना हुआ है जो कभी भी नही सुखता है.
शिव महापुराण के अनुसार माना जाता है कि भगवान शंकर की पत्नी सती के मायके में उनके पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इसमें सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया था. लेकिन शंकर भगवान को निमंत्रण नहीं दिया गया था.
जिनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर को 51 भागों में काट दिय. जो कि 51 शक्तिपीठ कहलाएं. इन्ही में से माना जाता है कि माता सती की कमर के नीचे का भाग यहां पर गिरा. जिसके कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा.
इस मंदिर के सामने भगवान हनुमान की विशालकाय मूर्ति स्थापित की गई है. जो मां कुष्मांडा देवी की रक्षा कर रहे है. इस मंदिर में स्थापित पिंड से पानी निकलने के बारें में कहा जाता है कि सूर्योदय के समय स्नान करके मां की पूजा कर इस रिसते पानी का सेवन करने से गंभीर से गंभीर बीमारी सही हो जाती है.
मान्यता है कि इस मंदिर में सबसे मन से कोई भी मुराद पूर्ण हो जाती है. बड़ी से बड़ी यहां आने से पूर्ण हो जाती है. साथ ही मान्यता है कि जिन लोगों की मुराद पूर्ण हो जाती है. वह मां के दरबार में आकर भंडारा कराते है और एक ईट की नींव भी रखते है.
जाने वास्तु के अनुसार कैसी हो आपके घर की