वुहान लैब कोविड महामारी की शुरुआत से ही प्रश्नों के घेरे में रही है। बीते कुछ सप्ताह में सामने आई रिपोर्ट में चीन ही नहीं बल्कि अमेरिका से भी इसके तार जुड़ते हुए नज़र आ रहे है।
चीन की वुहान लैब में हो रहा था अध्ययन, ज्यादा संक्रामक नए वायरस निर्माण से जुड़ी है यह तकनीक: जंहा इस बात का पता चला है कि खुद अमेरिका इस प्रयोगशाला को पैसा देने का काम कर रहा था। जिससे वहां गेन ऑफ फंक्शन अध्ययनों से संबंधित प्रोजेक्ट को अब तक चलाया जा रहा था, जो कोविड लीक का कारण हो सकता है। वॉल स्ट्रीट जनरल के एक लेख में तो अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट एंड इंफेक्शन डिजीज (एनआईएआईडी) द्वारा वुहान लैब में चल रहे कुछ प्रयोगो के समर्थन का खुला दावा किया जा चुका है।
तेजी से नए वायरस पैदा करने का तरीका: परंपरागत रूप से, यह परिवर्तन पशु या मानव कोशिकाओं में वायरस बढ़ाने पर केंद्रित कर दिया है। जंहा यह भी कहा जा रहा है कि वायरल जिनमें कुछ सटीक परिवर्तनों के लिए पशु मॉडल और आणविक जीव विज्ञान तकनीकों में महत्वपूर्ण उन्नति हो चुकी है। इस प्रक्रिया से नए वायरस तेजी से पैदा किए जा सकते हैं।
जो इंसान में प्रसार के लिए क्षमता बदल सकते हैं। इस प्रक्रिया के उलट वायरस के प्राकृतिक विकास में कई वर्ष का समय लग जाता हैं। इस प्रकार के शोध का उचित यह है कि इनसे वैज्ञानिक नई महामारियों के आगमन की बेहतर भविष्यवाणी भी हो सकती है।
जब वैज्ञानिकों ने बनाया खतरनाक एच5एन1: मिली जानकारी के अनुसार वैज्ञानिक रॉन फौचियर और योशीहारो कावाओका ने एक ऐसा एच5एन1 वायरस बनाया, जिसे एरोसोल के जरिए कई प्रजातियों में भेजने का काम रही है। अमेरिका सरकार ने जैव आतंकवादियों द्वारा इसके गलत इस्तेमाल का हवाला देते हुए विज्ञान पत्रिकाओं से इसे प्रकाशित न करने का भी आग्रह किया।
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