भारत से लेकर दुनिया में ओमीक्रॉन का खतरा अब बढ़ने लगा है। इसके चलते अब लोगों में डर दिखाई दे रहा है लेकिन इन सभी के बीच आई एक बड़ी खबर से लोगों की चिंताएं बढ़ गई है। जी दरअसल अब तक किए गए प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार, अधिकांश टीके ओमीक्रॉन संक्रमणों से रक्षा करने में ज्यादा सक्षम नहीं है। जी हाँ, अब तक हुए प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में उपयोग किए जाने वाले कोविड-19 टीके अत्यधिक तेजी से फैल रहे ओमीक्रॉन को लेकर प्रभावी नहीं है, हालांकि बाजार में आए अभी तक जितने भी टीके उपलब्ध हैं उनमें केवल फाइजर और मॉडर्ना टीके ही हैं जो बूस्टर डोज के साथ इस संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कारगर है।
हालाँकि ये टीके दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अभी भी उपलब्ध नहीं है। आप सभी जानते ही होंगे इस समय भारत से लेकर दुनियाभर में ओमीक्रॉन का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच आई इस खबर ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है। शोध के अनुसार अन्य टीके एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और चीन और रूस में निर्मित टीके शामिल हैं जो ओमीक्रॉन के प्रसार को रोकने के लिए काफी नहीं है। कहा जा रहा है अधिकांश देशों ने इन टीकों के इर्द-गिर्द अपने टीकाकरण कार्यक्रम बनाए हैं।
आप जानते ही होंगे अब तक दुनिया के अरबों लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए अभी भी चिंता का विषय है। अब तक के अधिकांश सबूत प्रयोगशाला प्रयोगों पर आधारित हैं। आपको बता दें कि फाइजर और मॉडर्ना टीके नई एमआरएनए तकनीक का उपयोग करते हैं, जिसने अब तक सभी वेरिएंट्स से संक्रमण के खिलाफ सबसे अच्छी सुरक्षा प्रदान की है। वहीं चीनी वैक्सीन सिनोफार्म और सिनोवैक जो विश्व स्तर पर दिए गए सभी टीके का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं जो ओमीक्रॉन से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक नहीं है।
चीन में तो अधिकांश लोगों ने इन्हीं टीकों को लिया है। वहीं ब्रिटेन में एक प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने टीकाकरण के छह महीने बाद ओमीक्रॉन संक्रमण को रोकने की कोई क्षमता नहीं दिखाई है। आप जानते ही होंगे भारत में 90 प्रतिशत टीकाकरण वाले लोगों ने कोविशील्ड टीका प्राप्त किया है। ऐसे में अब संकट और चिंता दोनों बढ़ती दिखाई दे रही है।
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