नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा के आखिरी दिन नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती कर दी है। यानी अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास कर रहे थे। रेपो रेट घटने से आवास और वाहन पर चल रही ईएमआई पर ब्याज दर कम हो सकती है।
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बैंकों को होता है इस तरह है फायदा
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके अलावा दिसंबर की पॉलिसी में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। पहले यह 7.2 रखी गई थी। जो ब्याज दर आरबीआई बैंको से वसूलता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट घटने का फायदा बैंकों को होता है। इसलिए बैंक भी अपने ग्राहकों के लिए ब्याज दरों में कटौती कर देते हैं।
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पहले ही कही थी कटौती की बात
जानकारी के मुताबिक कई अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक से रेपो रेट में कटौती का आवाहन किया था। अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी समेत अर्थशास्त्रियों के एक समूह ने रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कम-से-कम 0.25 प्रतिशत की कटौती की बात कही थी। बता दें अब से कुछ दिनों पहले ही नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हुई है.
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