नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण इकॉनमी में आई गिरावट और त्योहारी सीजन को देखते हुए मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद लगाये लोगों को शुक्रवार को उस समय मायूसी हाथ लगी जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का फैसला लिया।
हालांकि समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष की शेष अवधि में एकोमोडेटिव रूख बनाये रखने का निर्णय लिया है जिससे आगे ब्याज दरों में कटौती किये जाने की संभावना बनी हुयी है। मौद्रिक नीति समिति की यह तीसरी मीटिंग पहले 29 सितंबर से एक अक्टूबर तक होने वाली थी, किन्तु समिति के तीन बाहरी सदस्यों के रूप में नियुक्त डॉ़ चेतन घाटे, डॉ़ पम्मी दुआ और डॉ़ रवीन्द्र ढोलकिया का कार्यकाल 30 सितंबर को ख़त्म हो रहा था, जिसके चलते इनके स्थान पर नये सदस्यों की नियुक्ति तक बैठक स्थगित कर दी गई थी।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में हुई इस इस बैठक में समिति ने नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने का फैसला लिया है। मीटिंग में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुये गवर्नर ने कहा कि समिति द्वारा सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि रेपो दर को चार फीसद, रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसद, बैंक दर को 4.25 फीसद और मार्जिनल स्टैंडिंग फैस्लीलिटी (MSF) को 4.25 फीसद पर बरकरार रखा गया है।
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