नई दिल्ली: पिछले कई दिनों से बढ़ रहे संशोधित नागरिकता कानून पर देश भर में हंगामे, विरोध-प्रदर्शनों के बाद अब यह मामला यूरोपीय संसद में पहुंच चुका है. सीएए के खिलाफ पेश किए गए इस प्रस्ताव पर यूरोपीय संसद बहस और मतदान करेगी. वहीं यह भी कहा जा रहा है भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे देश का आंतरिक मामला बताया है. भारत ने कहा है कि यूरोपीय संसद को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई विधायिका के अधिकारों पर सवाल उठें.
जंहा इस बात कि जानकारी मिली है कि नया नागरिकता कानून पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है. वहीं अधिकारी ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि यूरोपीय यूनियन में इस प्रस्ताव को लाने वाले और इसका समर्थन करने वाले लोग सभी तथ्यों को समझने के लिए भारत से संपर्क करेंगे. ईयू संसद को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी विधायिका के अधिकारों पर सवाल खड़े हों.'
लेकिन इस बात पर बह गौर किया जाना चाहिए कि प्रस्ताव में भारत से अपील की गई है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ रचनात्मक वार्ता करने और भेदभावपूर्ण कानून को निरस्त करने की मांग पर विचार करे. इसमें कहा गया है, ‘सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है.’
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