बैंगलोर: 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल्स ने राजनीतिक दलों को असमंजस की स्थिति में छोड़ दिया है, एग्जिट पोल में राजस्थान और मध्य प्रदेश में कड़ी टक्कर का संकेत दिया गया है। इस अनिश्चितता की स्थिति ने राजनीतिक गुटों के बीच तनाव बढ़ा दिया है, अब सभी की निगाहें विशेष रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में निर्दलीय, विद्रोहियों और क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों की जीत के संभावित प्रभाव पर हैं।
एग्जिट पोल को लेकर नेता असहज हैं, जिससे रिसॉर्ट पॉलिटिक्स की शुरुआत हो गई है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने पार्टी आलाकमान के निर्देश पर पांच राज्यों के विधायकों को संभालने की इच्छा जताई है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आलाकमान ऐसा आदेश जारी करता है तो वह पाँचों राज्यों के कांग्रेस विधायकों को संभालने के लिए तैयार हैं। बता दें कि, कांग्रेस को हमेशा डर रहता है कि, कहीं उनके विधायक बिक न जाएं, या कोई उन्हें तोड़कर अपने पाले में न मिला ले, इसलिए कई बार ये देखा गया है कि, चुनावी नतीजों से पहले कांग्रेस अपने विधायकों को किसी कांग्रेस शासित राज्य के रिसोर्ट में पहुंचा देती है। ताकि उनसे किसी का भी संपर्क न हो सके और पार्टी के विधायकों की संख्या कम न हो। हालाँकि, भाजपा के विधायक फ़िलहाल आज़ाद हैं, उनकी तरफ से रिसोर्ट पॉलिटिक्स को लेकर ऐसी कोई खबर नहीं आई है।
एग्जिट पोल से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है, दोनों राज्यों में कांग्रेस को मामूली बढ़त हासिल है। एग्जिट पोल के मुताबिक, जहां मध्य प्रदेश में भाजपा को हल्की बढ़त मिलती दिख रही है, वहीं ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इसी तरह के परिदृश्य राजस्थान में भी स्पष्ट हैं, जहां एग्जिट पोल में दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर का संकेत दिया गया है। एग्जिट पोल के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बढ़त के बावजूद ज्यादातर सर्वेक्षणों में भाजपा और कांग्रेस के बीच अंतर न्यूनतम है। ऐसे में कांग्रेस अभी से अपने विधायकों को छुपाने की कोशिशों में लग गई है, ताकि उनके विधायक पाला न बदल सकें और पार्टी को नुकसान न हो।
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