देहरादून: शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अगुवाई में गया दल जर्मनी में कूड़े से बिजली बनाने की जिस तकनीक को देख रहा है वैसा ही परियोजना रुड़की में लगभग 7 वर्षों से अटका हुआ है। यह परियोजना भी जर्मनी की तकनीक से बनना था। निगम अधिकारीयों का कहना है कि फाइल शासन को भेजी गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से सन् 2016 में रुड़की में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की अनुमति प्राप्त हुई थी। इस योजना के तहत दस महीने के अंदर प्लांट लगाया जाना तय हुआ था। इसके लिए नगर निगम की तरफ से सालियर में 4.04 हेक्टेअर जमीन उपलब्ध करवा कर अपनी तरफ से पहल की गई थी। इस परियोजना से दो मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन होना था। इससे रुड़की शहर और आसपास के क्षेत्र को बिजली सप्लाई की योजना थी। इससे शहर में बहुत हद तक बिजली कटौती की परेशानी हल होने की उम्मीद लगाई गई थी।
नगर निगम की तरफ से कई अड़चनों के पश्चात् प्लांट लगाने के लिए तीन बार टेंडर मांगे गए किन्तु एक भी टेंडर फाइनल नहीं हो सका है। इस बारे में नगर निगम की तरफ से सभी औपचारिकताएं पूरी कर शासन को भेजी गई हैं किन्तु बीते दस माह से यह फाइल शासन में अटकी हुई है। इस फाइल को अनुमति प्राप्त होने का इंतजार निगम के अफसर कर रहे हैं। योजना के तहत रुड़की एवं आसपास क्षेत्र से प्रतिदिन लगभग 200 मीट्रिक टन कूड़े से दो मेगावाट की बिजली उत्पादन किया जाना था। कई बार इसके टेंडर हुए किन्तु रुड़की के अतिरिक्त अन्य निकायों से कूड़ा लाने में परेशानी, कई नियमों के चलते कंपनियां टेंडर डालने के लिए आगे नहीं आई।
शहरी विकास निदेशालय में भी इस योजना पर बैठकें चलीं। एक ही कंपनी की तरफ से टेंडर डाले जाने के पश्चात् निगम ने प्रस्ताव को शासन को भेज दिया था। शासन की तरफ से कुछ और स्पष्ट जानकारी इस पर मांगी गई थी। उसके पश्चात् से यह मामला अटका हुआ है। वेस्ट टू एनर्जी का यह प्रोजेक्ट भी जर्मनी की तकनीक पर आधारित था। अब शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अगुवाई में जर्मनी गया दल भी जर्मनी में इसी तकनीक को देख रहा है। 7 वर्षों से इसी तकनीक के आधार पर रुड़की में कूड़े से बिजली बनाने की योजना चल रही है। बता दे कि रुड़की में प्रतिदिन 104 एमटी कूड़ा निकलता है। इसके साथ ही मंगलौर, लक्सर पालिका, लंढौरा, झबरेड़ा, कलियर, भगवानपुर नगर पंचायत क्षेत्र से कूड़ा लाने की बात कही गई।
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