नई दिल्ली: देश में फिर एक बार ऊंची महंगाई (High Inflation) का दौर वापस आ गया है. अप्रैल माह में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर 7.79 फीसदी पर जा पहुंची है. मई 2014 में जब पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पहली बार बनी थी, उसके बाद से यह खुदरा महंगाई का सबसे ऊंचा स्तर है. इससे पहले मार्च महीने में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी रही थी.
वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने 26 मई को पीएम पद की शपथ ग्रहण की थी. उस वक़्त खुदरा महंगाई की दर 8.33 फीसदी थी. मई 2014 के बाद पहली दफा अप्रैल 2022 में महंगाई की दर 8 फीसदी के पास पहुंच गई है. हालांकि मनमोहन सिंह के शासन में भी महंगाई 10 फीसदी के भी पार पहुंची थी. वर्ष 2009 में तो एक वक़्त खुदरा महंगाई 12 फीसदी के भी पार पहुंच गई थी. वर्ष 1991 में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, उस समय भारत की खुदरा महंगाई की दर 13.50 फीसदी पहुंच गई थी. यह भारत में महंगाई का ऑल टाइम हाई भी है. दरसअल, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 12 मई को ही खुदरा महंगाई का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया था.
आंकड़ों से पता चलता है कि एक माह में खुदरा महंगाई 0.84 फीसदी चढ़ गई. हालांकि अप्रैल में महंगाई के तेजी से बढ़ने का अंदेशा पहले से ही था, मगर किसी ने 0.84 फीसदी की वृद्धि का अनुमान नहीं दिया था. इस बार महंगाई के दौर से संबंधित सबसे खराब बात ये है कि इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) की रफ्तार धीमी पड़ रही है, जिससे भारत की इकॉनमी के सामने स्टैगफ्लेशन (Stagflation) का खतरा पैदा हो गया है. जब किसी भी अर्थव्यवस्था में तेज महंगाई और सुस्त ग्रोथ (Slow Growth) की स्थिति एक साथ उत्पन्न हो जाती है, तो उसे स्टैगफ्लेशन कहा जाता है.
NEET PG 2022: निर्धारित तारीख को ही होगी परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका
बांग्लादेश ने सरकारी अधिकारियों के लिए विदेश यात्रा पर रोक लगाई
ज्ञानवापी का सर्वे होकर रहेगा.., रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ इंकार