नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने का मामला अब शीर्ष अदालत पहुंच गया है. सेना के एक सेवानिवृत्त अफसर ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दाखिल की गई याचिका में महंगाई भत्ता कटौती के फैसले को वापस लेने के लिए अदालत की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की गई है.
रिटायर्ड मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने यह याचिका दाखिल की है. कैंसर पीड़ित ओंकार सिंह गुलेरिया ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा है कि बीमार पत्नी के साथ किराये के घर में रहता हूं और मेरी आमदन का एक मात्र स्रोत मासिक सैन्य पेंशन है. ऐसे लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं जो पेंशन पर आश्रित हैं, किन्तु अब वे महंगाई भत्ता रोके जाने के केंद्र सरकार के फैसले से परेशान हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है कि जब दुनियाभर में कोरोना वायरस लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है, विशेषकर बुजुर्गों के लिए तो ऐसे समय में महंगाई भत्ते में कटौती का फैसला सही नहीं है. हम जैसे पेंशनभोगियों के लिए पेंशन ही एक मात्र सहारा है. याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह केंद्र सरकार को पीएम के उस बात का पालन करने का निर्देश दे, जिसमें उन्होंने कहा था कि, "वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख करें और वेतन में कटौती न करें, दूसरों की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोरोना वायरस अधिक खतरनाक है."
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