हम हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहते है कि हमे प्रतियोगिता के लिए क्या पढ़े और क्या नहीं वही इंजीनियरिंग हो या मेडिकल दोनों ही फील्ड कुछ ऐसे हैं जिनमें एडमिशन के लिए छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है. तथा जब भी बात इन परीक्षाओं की तैयारी की आती है तो छात्रों के अन्दर सबसे पहले ये सवाल उठता है कि आखिर सबसे उचित समय इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए क्या हो सकता है?
क्या आप जानते है कि कई बार ये भी देखा गया है कि छात्र इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कक्षा 6वीं, 7वीं और 8वीं से ही शुरू कर देते हैं, जहाँ उन्हें स्कूल के बाद अपना वीकेंड कोचिंग क्लासेज में व्यतित करना पड़ता है. तथा जिस कारण छात्र कहीं न कहीं अपना कीमती बचपन गवा देते हैं. दरअसल यहाँ यह कहने का मतलब केवल इतना है कि कक्षा 6वीं, 7वीं या 8वीं में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चों को अलग से कोचिंग क्लासेज में डालने की जगह हमें केवल इस बात पर ध्यान देना चाहिए की छात्रों की ग्रोथ पर कोई फर्क न पड़े तथा साथ ही साथ उनके पाठ्यक्रम में जो भी उपलब्ध है वह उन्हें अच्छी तरह समझ आ रहा है या नहीं?
मिली जानकारी के मुताबिक अक्सर कहा जाता है किसी भी काम को जितनी जल्दी शुरू करो उतना ही अच्छा होता है. यहाँ हम आपको बतायेंगे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का सही समय या एक छात्र की एक आइडियल ऐज जब वह अपनी तैयारी शुरू कर पाएंगे.
कक्षा 9वीं के छात्र को अपनी रूचि और करियर मार्ग को चुनना तथा समझना कक्षा 6वीं, 7वीं या 8वीं के छात्रों की तुलना में आसान होता है. यह एक ऐसा समय है जब छात्र अपनी रूचि के अनुसार करियर की दिशा सुनिश्चित करने में समक्ष होते हैं. साथ ही यदि छात्र को पिछली कक्षाओं के बेसिक्स बिलकुल क्लियर हैं तो वह आसानी से कक्षा 9वीं से अपनी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर सकता है. मेडिकल तथा इंजीनियरिंग प्रतियोगी परीक्षा के लिए उचित बेसिक्स का अध्ययन कक्षा 9वीं से ही शुरू होता है.
यहाँ हम छात्रों के लिए कक्षा 9वीं से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के ख़ास फायदे भी अंकित कर रहे हैं:
1. छात्र अपने कोर्स तथा तैयारी को लेकर ज्यादा फोकस होते हैं.
2. कक्षा 9वीं से प्रतियोगी परीक्षा की शुरुआत करने से आपके सभी विषयों के बेसिक्स आसानी से क्लियर हो जाते हैं जिन्हें आप विस्तार रूप में मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में भी पढ़ेंगे.
3. सभी विषयों पर अपनी अच्छी पकड़ बनाने के लिए कक्षा 9वीं के छात्रों के पास पर्याप्त समय होता है.
4. कठिन सवालों पर प्रैक्टिस, टाइम मैनेजमेंट, छोटी-छोटी होने वाली गलतियों इत्यादि को सुधारने के लिए भी पर्याप्त समय होता है.
5. सभी पढ़ें हुए टॉपिक्स को अच्छी तरह दोहराने के लिए भी काफी समय मिलता है.
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