नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कहा है कि निजता का अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार का ही हिस्सा है, इसके अलग-अलग पहलू है. निजता का अधिकार अलग-अलग स्थिति पर निर्भर करता है. निजता का हर पहलू मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं पा सकता. इस बारे में बता दे कि सन 2015 में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है.
किन्तु अब बुधवार को केंद्र ने कहा कि है निजता का अधिकार जीवन के अधिकार के सामने गौण महत्व रखता है. यदि इन दोनों अधिकार में किसी तरह का कोई टकराव होता है तब जीवन का अधिकार ही सर्वोपरी होगा. इसलिए निजता को जीवन जीने के अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़ कर कोई फैसले पर पंहुचा जा सकता है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इसे निजता को मूल अधिकार कहा जा सकता है, किन्तु इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ शर्ते शामिल होगी.
इस तरह निजता के अधिकार को पूरी तरह से मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आधार को तमाम योजनाओं से जोड़ा गया है और यह सारी योजनाए लोगो के जीवन के अधिकार से जुडी हुई है, क्या कोई यह कह सकता है कि उसके निजता के अधिकार को संरक्षित किया जा सकेगा.
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