चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के मौजूदा सत्र के दौरान कई अहम बिल पास हुए हैं. इनमें से एक शुक्रवार को ग्राम पंचायतों के लिए 'राइट टू रिकॉल' बिल भी सदन में पेश किया गया, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया है. इस बिल के लागू होने के बाद अब ग्रामीणों को यह अधिकार मिल गया है कि यदि कोई सरपंच सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो उसे कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उसे पद से हटाया जा सकता है.
इस नए नियम के लागू होने के बाद सरपंच द्वारा ग्रामीण विकास के मामले में क्रांतिकारी परिवर्तन आने का अनुमान जताया जा रहा है. डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि 'राइट टू रिकॉल' का ख्वाब देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने देखा था. विधानसभा में पारित हुए इस 'राइट टू रिकॉल' बिल के संबंध में चौटाला ने बताया कि पंचायत विभाग के पास अक्सर इस प्रकार की शिकायतें आती थी कि सरपंच मनमानी करके ग्रामीणों की जनभावनाओं के विरुद्ध काम कर रहा है. प्रतिवर्ष इस तरह के सैकड़ों शिकायतें ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर और प्रदेश हेडक्वार्टर तक पहुंचती हैं.
चौटाला ने बताया कि राइट टू रिकॉल का बिल पारित होने के बाद अब ग्रामीणों के पास यह अधिकार आ गया है कि यदि सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा रहा तो उसे बीच कार्यकाल में ही पद से हटाया भी जा सकता है. दुष्यंत चौटाला ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 फीसद मतदाता, 'अविश्वास' लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को सौंपेंगे. यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी और CEO के पास जाएगा.
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