मुंबई: महाराष्ट्र के नासिक में शनिवार (29 जुलाई) को प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव में कम से कम 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारी मणिपुर हिंसा के दौरान दो महिलाओं के वायरल वीडियो के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। वहीं, पथराव के बाद पुलिस ने करीब 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। एकलव्य आदिवासी संगठन, वंचित बहुजन अगाड़ी और अन्य स्थानीय संगठनों ने नासिक में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। हजारों युवा बगैर शर्ट पहने विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और विरोध जताने के लिए एक मार्च का आयोजन किया।
In the name of solidarity march for #Manipur, protestors were seen vandalising roadside shops & vehicles and stone-pelting on police!
— NK (@nirmal_indian) July 29, 2023
The march was organised by Vanchit Bahujan Aaghadi, a key MVA ally in #Maharashtra. The vandalism happened in Satana city, near Nashik! pic.twitter.com/lJme0UmksF
जब वे तहसील कार्यालय पहुंचे तो कुछ लोगों ने सताना थाने के सामने धरना-प्रदर्शन करने का प्रयास किया। वहीं, पुलिस ने कहा कि उनके पास धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सूचित किया कि MLA ज्ञापन स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि वह मुंबई में विधानसभा सत्र में हिस्सा ले रहे थे। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष तब शुरू हो गया, जब उन्होंने पुलिस कर्मियों और इलाके से गुजर रहे वाहनों पर पथराव किया। घटना के बाद एहतियात के तौर पर दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं।
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा। पुलिस अधीक्षक शाहजी ने मीडिया को बताया कि, ''घटना में दस पुलिसकर्मी घायल हो गए और हमने पथराव करने वाले 21 लोगों को हिरासत में ले लिया है। यह घटना विरोध मार्च के बाद हुई। तुरंत अतिरिक्त बल बुलाया गया। स्थिति अब शांतिपूर्ण है।” मामले की जांच चल रही है।
मणिपुर वायरल वीडियो :-
बता दें कि, 19 जुलाई को मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया। यह घटना मणिपुर हिंसा शुरू होने के एक दिन बाद 4 मई को हुई। इसकी सूचना सबसे पहले 18 मई को दी गई थी। मामले में दो एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से दूसरी 21 जून को सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। मामले में अब तक सात गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया और विपक्षी नेताओं ने मामले को लेकर संसद की कार्यवाही रोक दी। मणिपुर वायरल वीडियो मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया है।
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