सप्तऋषियों के पूजन के दिन को भारत में ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है. इसे हम ऋषि पंचमी व्रत और ऋषि पंचमी त्यौहार भी कह सकते हैं. हिंदू धर्म में रखे जाने वाले प्रमुख व्रत में ऋषि पंचमी व्रत का भी महत्वपूर्ण स्थान है. विशेषकर महिलाएं इस व्रत को रखती है. यदि मासिक धर्म के दौरान महिला ने कुछ ऐसा कर दिया है जो कि उचित नहीं था और महिला को इसके कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो महिला इस व्रत के माध्यम से इन समस्याओं से मुक्ति पा सकती है. हर साल यह व्रत भादो माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन रखा जाता है, यह विशेष त्यौहार हरतालिका तीज के दो दिन जबकि गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद आता है.
ऋषि पंचमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान...
- इस दिन व्रत रखने वाले लोग प्रातः काल जल्द उठकर पवित्र स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं.
- इस दिन का व्रत बेहद कठोर होता है, इस दिन कुछ भी ऐसा खाने-पीने से बचना चाहिए जिससे कि आपका व्रत खंडित हो सके.
- ऋषि पंचमी व्रत रखने का अहम उद्देश्य यह है कि महिलाएं या कन्याओं को पूर्णतः पवित्र करना होता है.
- बहुत कम लोग इस बात से परिचित होंगे कि इस दिन उपमर्गा (जड़ी बूटी) के साथ दांतों की सफाई भी की जाती है. जबकि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान भी है.
- मान्यता है कि इस दिन मक्खन, तुलसी, दूध, और दही का मिश्रण आत्मिक शुद्धि के लिए ग्रहण किया जाता है.
- ऋषि पंचमी का दिन या व्रत एक ऐसा व्रत होता है, जिस दिन किसी देवी-देवता की पूजा न कर महिलाएं और कन्याएं सात ऋषियों का पूजन करती है. इन 7 महाऋषियों के नाम ऋषि वशिष्ठ, ऋषि जमदग्नि, ऋषि गौथमा, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि भारद्वाजा ऋषि अत्रि और ऋषि कश्यप हैं.
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