पटनाः बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मगर यहां की फिजा में अभी से ही सियासी गरमाहट आने लगी है। खासकर विपक्षी महागठबंधन में सहयोगियों के तेवर से राजद परेशान है। अब राजद ने इस पर बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट कह दिया है कि वह अब किसी का मान मनौव्वल नहीं करेगी। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और वीआइपी के मुकेश सहनी को अधिक भाव न देने की बात कही है। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह हम और वीआइपी को राजद में विलय की सलाह दे रहे हैं।
शिवानंद तिवारी कह रहे हैं कि नाथनगर में उम्मीदवार देकर मांझी अपनी ताकत आजमा लें। संकेत यह कि राजद इन दोनों को मनाने नहीं जा रहा है। असल में लोकसभा चुनाव ने इस भ्रम को तोड़ दिया है कि मांझी और सहनी अपनी बिरादरी के वोटरों को प्रभावित कर सकते हैं। मांझी तो अपने गृह जिले में भी ताकत नहीं दिखा पाए।
राजद के अलावा कांग्रेस, आरएलएसपी, हम और वाम दलों की ताकत लगने के बाद भी उन्हें 32.86 फीसदी वोट मिल पाया। जबकि जदयू की जीत करीब 59 फीसदी वोट लेकर हुई। 2014 के बुरे दौर में भी गया लोकसभा चुनाव में राजद को 26 फीसदी वोट मिला था। यही हाल मुकेश सहनी का खगडिय़ा में हुआ। उन्हें लोकसभा चुनाव में 261623 वोट आया। यह राजद को 2014 में मिले वोटों से सिर्फ 29913 अधिक था। यानी राजद के बाकी सहयोगी दलों ने इतना ही वोट जोड़ा। बता दें कि गत लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का तकरीबन सफाया हो गया था।
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