देशव्यापी लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच बिहार सरकार ने लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे बिहार के मजदूरों और छात्रों को वापस लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को प्रवासियों को लाने की तैयारियों और स्थिति को लेकर अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की. सरकार द्वारा राज्य के लोगों को वापस लाने की अनुमति संबंधी दिशा-निर्देश जारी होने के बाद बिहार सरकार ने साफ कह दिया है कि बसों से लोगों को सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से वापस ला पाना संभव नहीं है.
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इस मामले को लेकर मंत्री संजय झा ने कहा है कि बड़ी संख्या में राज्य के प्रवासी कामगार और छात्र दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं. हमने केंद्र सरकार से विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि बसों से इन लोगों को लाया जाएगा तो केवल एक तिहाई ही राज्य तक पहुंच पाएंगे. राज्य के लोग महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य जगहों पर फंसे हुए हैं. उन्हें सकुशल वापस लाना जरूरी है. दूसरी तरफ, प्रवासी कामगारों के मुद्दे पर बिहार में राजनीति जारी है. नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर बिहार सरकार के पास प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं तो वह उनसे संपर्क करें. उन्होंने कहा कि वे बिहारियों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार को दो हजार बसें देने को तैयार हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि तेजस्वी के साथ-साथ उनके पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी इस मुद्दे पर सीएम नीतीश को घेरा. लालू ने नीतीश का नाम लिए बिना ही इशारों-इशारों में कहा है कि आज उनका वक्त है, कल जनता जरूर जवाब देगी.
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