अब तक चली आ रही आ रही कपूर खानदान की धरोहर आर.के स्टूडियो को अब कपूर खानदान ने बेचने का फैसला ले लिया है. ये फैसला उन्होंने अपने दिल पर पत्थर रखकर लिया है. ये स्टूडियो करीब 70 साल पुराना हो चुका है जिसे अब तक सभी ने सहेज कर रखा था लेकिन उनका कहना है कि पिछले साल आग लगने के बाद इसका पुनर्निर्माण कराना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है. इस स्टूडियो में आखिरी बार ‘आ अब लौट चलें’ बनी थी जिसके बाद इसमें कोई फिल्म नहीं बनी.
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बता दें, हिंदी सिनेमा के राज कपूर ने मुंबई के चेम्बूर में 1948 में इसकी स्थापना की थी लेकिन पिछले साल 16 सितंबर को सुपर डांसर शो के दौरान इसमें आग लग गई थी. इसमें किसी को हानि नहीं हुई है लेकिन इसे बार-बार रेनोवेट करना सही नहीं लग रहा है जिसके चलते इसे बेच देना चाहते हैं. वहीं इसके लोगो के पीछे भी एक रोचक किस्सा है जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे. आपको भी बता दें, एक महान पेंटर रिनी फ्रेंक्वाइस जेवियर ने रसियन लेखक लियो टॉलस्टाय के 'रुत्जर सोनाटा' नाम के नोवेला से इस थीम को लिया था. नोवेला एक ऐसी कृति है जो नॉवेल से छोटी है लेकिन शार्ट स्टोरीज से बड़ी होती है. ये एक रोमणक्टिक स्टोरी है जिसमें द्वन्द भी हैं और कई तरह के सवाल भी.
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वहीं टॉलस्टाय ने इस नोवेला को 1889 में लिखा था और इसी से प्रेरणा लेकर रिनी फ्रेंक्वाइस जेवियर ने 1901 में इससे जुड़ी एक पेंटिंग बना दी. इस बात को आरके स्टूडियो ने कभी बताया नहीं लेकिन इसकी पेंटिंग और लोगो को देखेंगे तो आपको भी यही लगेगा. तो ये कहा जा स्का है कि राजकपूर ने इस पेंटिंग को देखा होगा और इसी को उन्होंने अपना लोगो भी बना लिया.
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