जब से केंद्र सरकार ने देश में रह रहे 40,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां से हटाने का फैसला किया है, तब से ये भी मुखर होने लगे है.इसी मामले में दो रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा न्यायालय में जन हित याचिका दायर की है. साथ ही उनके साथ भी तिब्बतियों और श्रीलंका के शरणार्थियों की तरह ही व्यवहार करने की मांग की गई है.
उल्लेखनीय है कि दो रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा दायर जन हित याचिका के साथ पेश हलफनामे में कहा है कि रोहिंग्या का किसी भी आईएसआई और इस्लामी स्टेट जैसे आतंकी संगठनों से कोई संपर्क नहीं है. भारत में कोई भी रोहिंग्या राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं है.
बता दें कि इस याचिका में जम्मू - कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सदन में दिए गए कथन का हवाला दिया गया है, जिसमे कहा था कि कोई भी रोहिंग्या आतंकी गतिविधियों में सम्मिलित नहीं पाया गया है. हालाँकि असंवैधानिक रूप से सीमा पार करने वाले 38 में से 17 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. फ़िलहाल इस याचिका को न्यायालय ने सीज कर दिया है.कोर्ट इस मामले की सुनवाई 3 अक्टूबर को करेगी.
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