नई दिल्ली : क्रिस्टियानो रोनाल्डो को फुटबॉल का दूसरा नाम भी कहा जा सकता है. खेल की खातिर पढाई छोड़ने वाले रोनाल्डो ने स्कूल टीचर की कभी अच्छा खिलाड़ी नहीं बनने की चुनौती को मंजूर कर कड़ी मेहनत से एक महान खिलाड़ी बने.उनके जीवन की कहानी संघर्षपूर्ण रही है.
बता दें कि पुर्तगाल के एक छोटे से आइसलैंड माड्रेला में जन्मे क्रिस्टियानो रोनाल्डो का सामान्य परिवार था.14 साल की आयु में उन्हें एक अच्छा फुटबॉलर बनने की प्रेरणा जगी जिसमें उनकी माँ ने पढ़ाई छोड़कर सिर्फ फुटबॉलर बनने का उत्साह बढ़ाया. दब्बू किस्म के रोनाल्डो को उनकी टीचर अक्सर पढाई को लेकर डांटती थी एक दिन टीचर की डांट पर उन्होंने गुस्से में टीचर पर कुर्सी फेंककर मार दी. टीचर ने रोनाल्डो से कहा कि वह कभी अच्छे खिलाड़ी नहीं बन सकते. उन्हें स्कूल से निकाल दिया.टीचर की बात चुभ गई और उन्होंने अच्छा खिलाड़ी बनने पर पूरा ध्यान लगा दिया.
उल्लेखनीय है कि 15 वर्ष की उम्र में रोनाल्डो दिल की गंभीर बीमारी हो गई. उनका फुटबॉल खेलना बंद हो गया. बाद में रोनाल्डो का लेजर ऑपरेशन हुआ .अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने ट्रेनिंग शुरू कर दी.16 साल में स्पोर्टिंग सीपी क्लब से जुड़े. फिर 2003 में मैनचेस्टर युनाइटेड ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया .फिर उनका ट्रांसफर एक अरब दस करोड़ रुपये में हुआ. 2009 में वह रियाल मैड्रिड के साथ रिकॉर्ड सात अरब रुपये में जुड़े और अब तक क्लब के लिए खेल रहे हैं.आज रोनाल्डो दुनिया के सबसे अमीर फुटबॉलरों में से एक हैं.जो सालाना करोड़ों रुपये गरीब बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और कपड़ों पर खर्च करते हैं.दोनों पैरों से समान खेलने में माहिर रोनाल्डो दुनिया के सबसे तेज फुटबॉलरों में शामिल है.उन्होंने कुल 26 ट्रॉफियां जीती हैं.
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