आप सभी को बता दें कि कार्तिक मास पर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी का त्यौहार होता है और यह त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. आपको बता दें कि इस त्यौहार को नरक चौदस भी कहते हैं. कहते हैं इस दिन स्वर्ग एवं रूप की प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पहले उबटन, स्नान एवं पूजन किया जाता है लेकिन आप सभी को बता दें कि इस दिन को रूप चौदस और नरक चौदस के अलावा काली चौदस भी कहा जाता है, लेकिन यह नाम बहुत कम लोग जानते हैं. जी हाँ, काली चौदस का नाम और रूप चौदस को काली चौदस पुकारने के कारण बहुत कम लोग जानते हैं.
अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं तो आइए जानिए इसका कारण. आप सभी को बता दें कि पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है.
वहीं कहते हैं कि इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है और विशेष लाभ भी मिलता है. इसी के साथ काली मां के आर्शिवाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है. काल चौदस को माँ काली का पूजन करने का विधान है जो बहुत धूम धाम से किया जाता है.
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