नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन लंबित होने के कारण मनीष सिसौदिया की नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई की जाए या नहीं, इस पर अपना फैसला टाल दिया। न्यायाधीश एमके नागपाल ने फैसले के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शीर्ष अदालत में चल रही उनकी सुधारात्मक याचिका का हवाला देते हुए सिसौदिया की जमानत याचिका के खिलाफ दलील दी। एजेंसी के मुताबिक, क्यूरेटिव याचिका लंबित रहने के दौरान जमानत अर्जी को अनुमति देना दोहराव होगा।
ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी कि एक साथ दो अलग-अलग मंचों पर एक ही राहत की मांग करना कानूनी रूप से अनुचित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निचली अदालत को सिसौदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से पहले सुधारात्मक याचिका के नतीजे का इंतजार करना चाहिए। हालांकि, सिसौदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने इस तर्क का विरोध किया और उपचारात्मक याचिका के समाधान तक मुकदमे में देरी के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया।
माथुर ने पिछले उदाहरणों पर प्रकाश डाला, जैसे कोयला घोटाला मामले, जहां इसी तरह के कानूनी उपायों की मांग की गई थी। उन मामलों में, सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) लंबित होने के बावजूद मुकदमे की कार्यवाही जारी रही। उन्होंने कहा कि हालांकि एसएलपी अनिर्णीत रही, मुकदमा आगे बढ़ा। इसके अतिरिक्त, माथुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट सहित सिसोदिया की पिछली जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं। इसके बावजूद सिसौदिया ने ट्रायल कोर्ट में एक और जमानत याचिका दाखिल की है।
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