चेन्नई: तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) रूट मार्च के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने आज शुक्रवार (3 मार्च) को सुनवाई की है. मामले को लेकर तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य सरकार 6 जिलों में मार्च को अनुमति नहीं दे सकती. क्योंकि इन इलाकों में PFI के हमलों व बम ब्लास्ट आदि का खतरा है.
रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है. आप कौन सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं. सर्वोच्च न्यायालय का रुख देखते हुए RSS 5 मार्च को तमिलनाडु में रूट मार्च टालने को राजी हुआ है. वहीं, तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने शीर्ष अदालत से मोहलत मांगी कि वो इस मामले में कोई समाधान निकालेंगे कि किन शर्तों पर रूट मार्च की अनुमति दी जाए. इसके साथ ही वो RSS से रूट मार्च को लेकर चर्चा भी करेंगे. RSS की तरफ से महेश जेठमलानी ने कहा कि में जिन इलाकों का उल्लेख राज्य सरकार कर रही है, पहले भी हमने वहां जुलूस निकाला है। इसके साथ ही कहा कि अभी 5 मार्च को होने वाला रुट मार्च नहीं होगा.
इस पर तमिलनाडु सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने RSS के प्रस्तावित रूट मार्च का विरोध करते हुए कहा कि हमने रूट मार्च करने से इंकार नहीं किया था. मगर हर एक गली और मोहल्ले में करने का क्या औचित्य है, जहां स्थितियां अच्छी नहीं है. कानून व्यवस्था खराब हो सकती है. कानून व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. PFI को प्रतिबाधित कर दिया गया है. राज्य में कई संवेदनशील जगहें हैं. तमिलनाडु सरकार ने कहा हमारे पास इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है, सरहद से लगे कुछ इलाके संवेदनशील हैं. वहां पर मार्च नहीं निकालने की बात कही है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस मामले पर 17 मार्च को सुनवाई करेंगे.
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