जयपुर: केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित जल जीवन मिशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत शुक्रवार (3 नवंबर) को एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के परिसरों सहित चुनावी राज्य राजस्थान में छापेमारी की। जयपुर में 25 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग (PHE) विभाग के IAS अधिकारी सुबोध अग्रवाल के ठिकाने भी शामिल थे। सूत्रों ने बताया है कि कुछ अन्य जुड़े लोगों को भी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत कवर किया जा रहा है। बता दें कि, राजस्थान में वैसे भी पानी की काफी किल्लत है, ऐसे में जल जीवन मिशन जैसे लोककल्याण के कार्य में यदि घोटाला साबित होता है, तो ये राज्य की कांग्रेस सरकार पर एक बड़ा धब्बा होगा। इससे यह सन्देश जाएगा कि, जब राजस्थान में लोग पानी के लिए तरस रहे थे, तब उनकी प्यास की कीमत पर सरकार अपनी तिजोरी भर रही थी, हालाँकि अभी जांच जारी है।
#WATCH | Enforcement Directorate searches underway at 25 locations across Rajasthan in the Jal Jeevan Mission case.
— ANI (@ANI) November 3, 2023
Visuals from the residence of IAS officer Subodh Agarwal and IRS officer Rolee Agarwal in Jaipur, where a search is ongoing. pic.twitter.com/5eFCVOYQED
बता दें कि, ED ने इस मामले में सितंबर में भी इसी तरह की छापेमारी की थी। जिसमे राजस्थान सरकार के दो अधिकारियों के लॉकर से 2.5 करोड़ रुपये नकद और लगभग 11 किलो सोना जब्त किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की FIR से उपजा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के मालिक पदमचंद जैन, श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के मालिक महेश मित्तल और अन्य लोग, अपने हितों के लिए लोक सेवकों को "रिश्वत देने" में शामिल थे। यह रिश्वत PHED से उनके द्वारा प्राप्त विभिन्न निविदाओं के संबंध में अवैध संरक्षण प्राप्त करने, निविदाएं प्राप्त करने, बिल स्वीकृत कराने और उनके द्वारा निष्पादित कार्यों के संबंध में अनियमितताओं को कवर करने के लिए दी गई थी।
ED ने पहले जारी एक बयान में बताया गया था कि, "संदिग्ध अपने टेंडरों/अनुबंधों में उपयोग करने के लिए हरियाणा से चोरी किए गए सामान की खरीद में भी शामिल थे और उन्होंने PHED अनुबंध प्राप्त करने के लिए इरकॉन से फर्जी कार्य समापन पत्र भी जमा किए थे।" बता दें कि, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। यह योजना राजस्थान में राज्य PHED द्वारा कार्यान्वित की जा रही थी। हर बार की तरह, ED की कार्रवाई पर सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्ष को निशाना बनाने के लिए केंद्र की भाजपा नीत सरकार के निर्देश पर काम कर रही हैं।
राजस्थान में आचार सहिता के बाद रोज़ लॉकर सोना और करोड़ों की नगदी उगल रहे हैं
— Laxmikant bhardwaj (@lkantbhardwaj) October 29, 2023
गणपति प्लाजा के लॉकर से फिर मिला साड़े चार किलो सोना pic.twitter.com/4TgtFZyAdb
1000 करोड़ का है घोटाला, कांग्रेस मंत्री भी घेरे में:-
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक शीर्ष अधिकारी ने सितम्बर की छापेमारी के बाद बताया था कि, जब्त किए गए दस्तावेजों में घोटाले का आकार 1,000 करोड़ रुपये आंका गया है, लेकिन यह इससे अधिक भी जा सकता है। फर्जी पृष्ठभूमि वाली दो कंपनियों को 900 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए अनुबंध दिया गया था, जिसमें से उन्होंने 500 करोड़ रुपये के बिल का दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों मालिकों में से एक को पकड़ लिया गया है, जबकि दूसरा फरार है। इस मामले में कांग्रेस के मंत्री भी घिरे हैं। ED ने बताया था कि, व्यवसायी कथित तौर पर राजस्थान राज्य मंत्रिमंडल में कुछ मंत्रियों के "करीबी" हैं, जिनमें राज्य के PHED (भूजल) मंत्री महेश जोशी और कुछ वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हैं।
केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि कई आपत्तियां उठाए जाने और संबंधित (फर्जी) कंपनियों के विवरण के साथ विभाग में कई शिकायतें दर्ज होने के बावजूद राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने कंपनियों के साथ काम जारी रखा। विभाग द्वारा एक प्रारंभिक जांच का आदेश दिया गया था, हालांकि, आपत्तियों को दूर करने के लिए मनगढ़ंत दस्तावेजों का एक और सेट पेश करके इसे समाप्त कर दिया गया था। सूत्र ने कहा कि, दोनों कंपनियां बोली लगाने के लिए पात्र नहीं थीं, फिर भी उन्हें 900 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया। जल जीवन मिशन घोटाला मामले में 8 अगस्त को राजस्थान सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी।
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