मुंबई: केंद्र सरकार ने आपातकाल की बरसी पर प्रत्येक वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों जैसे कांग्रेस, टीएमसी एवं समाजवादी पार्टी ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने भी केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के पास कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है। आपातकाल के 50 वर्ष हो चुके हैं, लोग इसे भूल चुके हैं, किन्तु कुछ लोग इसके बहाने देश में अराजकता फैला रहे हैं।
संजय राउत ने बताया कि आपातकाल के पश्चात् जनता पार्टी की सरकार आई, जिसने संविधान की हत्या के बारे में कुछ नहीं कहा। अटल बिहारी वाजपेयी एवं चंद्रशेखर की सरकारों ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, किन्तु आज की सरकार को अचानक यह अहसास हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में कानून, केंद्रीय एजेंसियों, भ्रष्टाचार एवं अराजकता में वृद्धि हो रही है, जो संविधान की हत्या के समान है। संजय राउत ने भारतीय जनता पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो लोग संविधान हत्या दिवस मनाने का आदेश दे रहे हैं, उन्हें आपातकाल के बारे में क्या पता है? क्या उन्हें यह मालूम है कि भारतीय जनता पार्टी की मूल संस्था, संघ, ने आपातकाल का समर्थन किया था? उन्होंने यह भी बताया कि मोदी सरकार के बीते 10 सालों में प्रतिदिन संविधान हत्या का दिन है।
संजय राउत ने याद दिलाया कि आपातकाल का समर्थन करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं बालासाहेब ठाकरे सम्मिलित थे। उन्होंने यह भी कहा कि क्या आज के नेता बालासाहेब ठाकरे की फोटो लगाकर वोट मांग रहे हैं, जबकि उन्होंने उस वक़्त इंदिरा गांधी का समर्थन किया था। संजय राउत ने यह भी कहा कि आपातकाल देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला था, क्योंकि कुछ लोग देश में बम विस्फोट कर रहे थे तथा उन्हें नियंत्रित करने की जरुरत थी। आज लोग इस बात को भूल चुके हैं कि आपातकाल क्यों लगाया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी नकली शिवसेना के साथ मिलकर बालासाहेब ठाकरे के गुण गा रही है, जिन्होंने उस वक़्त आपातकाल का स्वागत किया था।
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