कोच्चि: केरल के वायनाड जिले में भारी भूस्खलन से हुई तबाही के बीच विपक्षी दलों और इस्लामवादियों द्वारा अक्सर निशाना बनाया जाने वाला संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पीड़ित लोगों की मदद के लिए मैदान में उतर आया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के 'जननायक' और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी और इस सीट से पार्टी की उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा "लगातार बारिश और प्रतिकूल मौसम की स्थिति" के कारण वहां नहीं जा सके।
वायनाड के सांसद राहुल गांधी, और वायनाड की भविष्य की सांसद प्रियंका वाड्रा दिल्ली में हैं पर वायनाड के आपदा पीड़ितों के बीच सेना और RSS के लोग काम कर रहे हैं।
— Dr. Syed Rizwan Ahmad satire (@We_IndianIN) August 1, 2024
वही सेना जिसे वायनाड के सांसद कहते हैं कि चीन वाले पीट रहे हैं।
वही RSS जिसे वायनाड के सांसद आतंकवादी संगठन कहते हैं। pic.twitter.com/3JXm0Rf2x7
30 जुलाई को प्रकाशित एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा था कि, "प्रियंका और मैं कल भूस्खलन से प्रभावित परिवारों से मिलने और स्थिति का जायजा लेने के लिए वायनाड जाने वाले थे। हालांकि, लगातार बारिश और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण हमें अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया है कि हम उतर नहीं पाएंगे। मैं वायनाड के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम जल्द से जल्द वहां जाएंगे। इस बीच, हम स्थिति पर बारीकी से नजर रखते रहेंगे और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं वायनाड के लोगों के साथ हैं।"
वहीं, उनकी बहन और वायनाड लोकसभा सीट से संभावित उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा कि, "वायनाड के मेरे भाइयों और बहनों, भले ही हम कल वायनाड नहीं आ सकते, लेकिन इस दुख की घड़ी में हमारा दिल आपके साथ है और हम आप सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। पहले खबर थी कि राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा वायनाड में भूस्खलन प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने ख़राब मौसम की वजह से वहां जाने से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि अगर मौसम ठीक रहा तो भाई-बहन आज वहां पहुँच सकते हैं। बता दें कि प्रियंका वाड्रा वायनाड से उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी की संभावित उम्मीदवार हैं, क्योंकि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में दोनों सीटें जीतने के बाद रायबरेली को बरकरार रखने का फैसला किया है।
राहुल और प्रियंका का 'मन' और 'दिल' वायनाड के लोगों के साथ है, वहीं RSS के स्वयंसेवक भूस्खलन प्रभावित जिले में जमीन पर उतारकर निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं। भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है, घर और सड़कें नष्ट हो गई हैं, पेड़ उखड़ गए हैं और जलस्रोतों में बाढ़ आ गई है। मलबे और दुख के बावजूद, भारतीय सेना और NDRF बचाव अभियान चला रहे हैं। सेना के साथ-साथ RSS और उसके संगठन सेवा भारती के स्वयंसेवक भी उनकी मदद कर रहे हैं।
ये RSS और सेवा भारती के स्वयंसेवक मृतकों का पता लगाने में NDRF की टीमों की मदद कर रहे हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए भोजन शिविरों की व्यवस्था कर रहे हैं और शोक संतप्त परिवारों को उनके प्रियजनों की पहचान करने में मदद कर रहे हैं। वे मरने वालों के लिए सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी आयोजित कर रहे हैं। इसके अलावा, RSS के स्वयंसेवक घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने का प्रबंध कर रहे हैं, ताकि उन्हें समय पर चिकित्सा मिल सके। वे अवरुद्ध सड़कों से मलबा भी हटा रहे हैं ताकि आपातकालीन वाहन और सेना तथा NDRF अलग-थलग और प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से पहुंच सकें। ये स्वयंसेवक अस्पतालों में घायलों के लिए भोजन और आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध करा रहे हैं।
ये RSS के स्वयंसेवक हैं जो वायनाड भूस्खलन के बाद सेवा भाव में जुटे हुए हैं.
— Abhay Pratap Singh (बहुत सरल हूं) (@IAbhay_Pratap) July 31, 2024
ये खाकी निक्कर वाले मलवा भी हटा रहे हैं, लोगों का रेस्क्यू भी कर रहे हैं, भोजन भी वितरित कर रहे हैं, साथ ही शवों का क्रिया-कर्म भी कर रहे हैं.
आप संघ को चाहे जितनी गाली दे लो लेकिन जब देश पर जब-जब… pic.twitter.com/71s6KQm64D
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेवा भारती के स्वयंसेवक शवों के सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए सीएच चिताग्नि चूरलामल्ला में अपने मोबाइल शवगृह का संचालन कर रहे हैं। ईसाई समुदाय के कई लोग धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सेवा भारती के मोबाइल शवगृह का भी उपयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन के कारण करीब 250 लोगों की मौत हो गई है। RSS के सदस्यों को अक्सर वामपंथी शासित राज्यों में निशाना बनाया जाता है, लेकिन वे हमेशा किसी भी मानव निर्मित संकट या प्राकृतिक आपदा का सामना करने पर आम लोगों की मदद करने के लिए समर्पित रहते हैं। यह उल्लेख करना उचित है कि RSS लोगों की मदद कर रहा है, चाहे उनका धर्म या जाति कोई भी हो, जबकि इस क्षेत्र के सांसद रह चुके राहुल गांधी दिल्ली में बैठकर लोकसभा में लोगों की जातियां गिनने का मुद्दा उठा रहे हैं।
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