मुंबई: आज विजयादशमी है। आज शुक्रवार है और आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर मुख्यालय में ‘शस्त्र पूजन’ किया। इस दौरान भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि अर्पित की। वहीं इस दौरान अपने संबोधन में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की। वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो लेकिन उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए।'
आगे संघ प्रमुख ने यह भी कहा, 'जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके, खोए हुए बिछड़े हुए को वापस गले लगा सकें।' इसी के साथ उन्होंने कहा, 'अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा।'
आगे उन्होंने यह भी कहा, 'यह साल हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है। 15 अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए। हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वो प्रारंभ बिंदु था। हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली है। स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी भारत की परंपरा के अनुसार समान सी कल्पनाएं मन में लेकर, देश के सभी क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खडे किये हैं।'
आगे मोहन भागवत ने यह भी कहा, '‘स्वाधीनता’ से ‘स्वतंत्रता’ तक का हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है। दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिनके लिए भारत की प्रगति और एक सम्मानित स्थान पर उसका उदय उनके निहित स्वार्थों के लिए हानिकारक है। विश्व को खोया हुआ संतुलन और परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को और भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है।'
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