मुंबई: धर्म संसद के बैनर तले आयोजित किए गए कार्यक्रमों में कथित तौर पर हिंदुत्व की बातों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने असहमति जाहिर की है. मोहन भागवत ने कहा है कि धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के मुताबिक नहीं थीं. यदि कोई बात किसी वक़्त गुस्से में कही जाए, तो वह हिंदुत्व नहीं है.
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि RSS और हिंदुत्व में यकीन रखने वाले लोग इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं करते हैं. दरअसल, गत वर्ष दिसंबर महीने में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुस्लिमों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया था, जबकि रायपुर में हुई धर्म संसद में महात्मा गांधी को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थी. RSS चीफ ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी, किन्तु उन्होंने यह बात भगवद गीता का संदर्भ लेते हुए कही थी, किसी को समाप्त करने या नुकसान पहुंचाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं.
क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है. इस सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा कि, यह हिंदू राष्ट्र बनाने के संबंध में नहीं है. भले ही इसे कोई स्वीकार करें या न करें. यह हिंदू राष्ट्र ही है. हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है. यह वैसी ही है जैसी कि राष्ट्र की अखंडता की भावना. राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता कदापि आवश्यक नहीं है. भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता.
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