नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू स्प्रिचुअल सर्विस फाउंडेशन द्वारा आयोजित किए गए प्रकृति वंदन कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया. उन्होंने लोगों से प्रकृति को जीतने की भावना का त्याग करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि विगत तीन-साढ़े तीन सौ वर्षों में प्रकृति के शोषण से जो खराबी हुई है, यदि प्रकृति संरक्षण करेंगे तो सौ-दो सौ वर्षों में उस खराबी को दूर किया जा सकता है.
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हम भी प्रकृति के एक अंग है, इस बात को समझना होगा. हिंदू स्प्रिचुअल सर्विस फाउंडेशन का ये प्रोग्राम शनिवार को आयोजित किया गया था. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, 'पर्यावरण, यह शब्द आजकल काफी सुनने को मिलता है, कहा भी जाता है और उसका एक दिन मनाने का भी एक कार्यक्रम है. उसकी वजह है कि अभी तक दुनिया में जो जीने का तरीका है, वो पर्यावरण के मुताबिक नहीं है, वो तरीका प्रकृति को जीतकर इंसानों को जीना है, ऐसा मानता है.'
मोहन भागवत ने कहा कि, 'मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है, किन्तु उसका कोई दायित्व नहीं है. ऐसा हम बीते दो-ढाई सौ वर्षों से जी रहे हैं. उसके दुष्परिणाम अब हमारे सामने आ रहे हैं. उसकी भयावहता अब नज़र आ रही है. ऐसे ही चलता रहा तो सृष्टि में जीवन जीने के लिए हम लोग नहीं रहेंगे. यह भी हो सकता है कि सृष्टि ही न रहे. और इसलिए मनुष्य अब विचार करने लगा, तो उसको लगा कि पर्यावरण का संरक्षण किया जाना चाहिए'.
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