नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ से आमतौर पर सियासी, सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर ही प्रतिक्रिया दी जाती है, मगर शायद यह पहली बार है, जब संघ ने रोजगार के मुद्दे को लेकर प्रस्ताव पारित किया है। अहमदाबाद में तीन दिनों तक चली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देश में बढ़ रही बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है। इसमें सरकार और समाज से अपील की गई है कि उन्हें साथ मिलकर एक ऐसा आर्थिक मॉडल तैयार करना चाहिए, जिससे रोज़गार का सृजन हो सकें। संघ के प्रस्ताव में कहा गया कि कोरोना महामारी के बाद बदली स्थिति में यह और भी आवश्यक हो जाता है कि रोजगार का तेजी से सृजन हो।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है। इस बैठक में मोहन भागवत सहित RSS के 1,200 पदाधिकारी उपस्थित थे। यह बेहद खास है क्योंकि बीते 7 वर्षों में संघ की तरफ से परिवार व्यवस्था, भाषा, राम मंदिर, बंगाल और केरल में हिंसा, हिंदू और मुस्लिमों की जनसंख्या में बढ़ते असंतुलन जैसे मुद्दों पर ही प्रस्ताव पेश किए जाते थे। प्रस्ताव पेश करते हुए संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि कोरोना के कारण लोगों की आजीविका पर भी संकट गहराने लगा है। इसे दूर करने के लिए कुछ प्रयास करने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि, 'हमने प्रस्ताव पारित किया है। हम भारत और उसके लोगों के सामर्थ्य के संबंध में जानते हैं। हमें पता है कि किस प्रकार से हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। किन्तु इस पर अमल के लिए हमें कुछ कोशिशें करनी होंगी। यहां तक कि एग्रो बेस्ड और हैंडिक्राफ्ट जैसी चीजें भी देश में रोजगार के सृजन का जरिया हो सकती हैं।' RSS ने अपने प्रस्ताव में रोजगार सृजन के लिए भारतीयता पर आधारित आर्थिक नीतियां लागू करने की भी वकालत की है। प्रस्ताव में कहा गया है कि, 'हमने देखा है कि कैसे पलायन के कारण चुनौतियां खड़ी होती हैं। ऐसे में हमें स्थायी विकास के मॉडल की आवश्यकता है। हम चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी, छोटे उद्योग और सामाजिक संगठन साथ में आकर इस समस्या को दूर करने के लिए साझा प्रयास करें।'
रूस और यूक्रेन की जंग में शिकार बना अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन, जानिए क्या है मामला
पूर्व पीएम राजीव गांधी के कातिल पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
'..उसे पेट्रोल डालकर लोगों के बीच जला दो', कांग्रेस की महिला विधायक का विवादित बयान