'पूरे तमिलनाडु में निकलेगा RSS का पथ संचलन..', पुलिस के इंकार के बाद हाई कोर्ट ने दी अनुमति

'पूरे तमिलनाडु में निकलेगा RSS का पथ संचलन..', पुलिस के इंकार के बाद हाई कोर्ट ने दी अनुमति
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चेन्नई: तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के पथ संचालन को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने तामिलनाडु पुलिस को आदेश दिया है कि संघ को पूरे राज्य में पथ संचलन की इजाजत दी जाए। बता दें कि, इसके पहले एकल न्यायाधीश ने संघ को सार्वजनिक सड़कों से जुलूस निकालने की मंजूरी नहीं दी थी। अदालत ने RSS को किसी मैदान या स्टेडियम में पथ संचालन आयोजित करने के निर्देश दिए थे। RSS की ओर से इस फैसले को चुनौती दी गई थी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने संघ की ओर से एकल न्यायाधीश के फैसले के विरुद्ध दी गई याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की बेंच ने नागरिकों के बोलने (भाषण देने) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला देते हुए RSS के पक्ष में फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने RSS से 3 अलग-अलग तारीखों पर रूट मार्च निकालने के लिए दोबारा आवेदन देने का निर्देश दिया। अदालत ने तमिलनाडु पुलिस को राज्य के विभिन्न जिलों में निकाले जाने वाले जुलूस के लिए इजाजत देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि पुलिस RSS द्वारा किसी भी तारीख को जुलूस निकालने की अनुमति दे। इसके पहले संघ की ओर से 50 स्थानों पर रैली और जुलूस की अनुमति माँगी गई थी। हाई कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को तमिलनाडु में 44 स्थानों पर कुछ शर्तों के साथ RSS को कार्यक्रमों की अनुमति दी थी। संघ द्वारा इस फैसले को चुनौती दी गई।

जी. सुब्रमण्यम की तरफ से दाखिल की गई याचिका में 2 अक्टूबर 2023 के फैसले का उल्लेख किया गया था, जिसमें उन्हें मार्च निकालने की इजाजत दी गई थी। सुब्रमण्यम ने राज्य सरकार के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को कोर्ट की अवमानना के लिए दंडित करने की भी माँग की थी। बता दें कि इसके पहले राज्य की एमके स्टालिन सरकार और पुलिस द्वारा हिंदू संगठन इंदु मक्कल काची-तमिझगम (IMKT) को भी राज्यस्तरीय सम्मेलन की अनुमति नहीं मिल रही थी। पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी थी। RSS ने इसके बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। मद्रास HC ने 29 जनवरी 2023 को आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन की अनुमति दे दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि धार्मिक सभाओं के आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।

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