हिंसाग्रस्त मणिपुर में RSS के सहकार्यवाह ने फहराया तिरंगा, कहा- हर वो व्यक्ति भारतीय है, जो..

हिंसाग्रस्त मणिपुर में RSS के सहकार्यवाह ने फहराया तिरंगा, कहा- हर वो व्यक्ति भारतीय है, जो..
Share:

 

इम्फाल: 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मणिपुर के हिंसाग्रस्त इंफाल वेस्ट में तिरंगा फहराया। यह घटना तब घटी जब मणिपुर राज्य में लंबे समय से हिंसा और संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी, जिसमें न केवल शारीरिक संघर्ष हुआ था बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना भी प्रभावित हुआ था। ऐसे संवेदनशील माहौल में तिरंगा फहराने का प्रतीकात्मक महत्व बहुत बड़ा था, क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। 

अपने संबोधन में होसबाले ने राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है, और इस भूमि का उद्देश्य 'वसुधैव कुटुंबकम' अर्थात् पूरे विश्व को एक परिवार मानने की भावना से प्रेरित है। उन्होंने इस संदेश के जरिए यह दिखाने की कोशिश की कि भारत का असली मूल धर्म समाज में सामूहिक शांति और सौहार्द को बनाए रखना है। मणिपुर में जहां जातीय और सांस्कृतिक असहमति की वजह से हिंसा भड़की थी, वहीं इस समय तिरंगा फहराकर और शांति की अपील करके संघ ने यह संदेश दिया कि सभी समुदायों को मिलकर राज्य की स्थिरता और विकास के लिए एकजुट होना चाहिए।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल प्रतीकात्मक कदम जैसे तिरंगा फहराने और शांति की अपील करने से मणिपुर की स्थिति में वास्तविक बदलाव आ पाएगा? इस तरह के उपाय, भले ही मानसिकता को बदलने और राष्ट्रीय एकता का संदेश देने में सहायक हों, लेकिन जब तक हिंसा के कारणों का समाधान नहीं किया जाता, तब तक उनका प्रभाव सीमित रहेगा। मणिपुर में जातीय हिंसा की जड़ें गहरी हैं, और इनका समाधान केवल शांति की अपील से नहीं, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों से किया जा सकता है। 

राज्य में दो प्रमुख जातीय समूहों के बीच चल रहे संघर्षों, असहमति और असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए एक ठोस योजना की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए, मणिपुर सरकार को न केवल सुरक्षा बलों का उचित उपयोग करना होगा, बल्कि समुदायों के बीच विश्वास और समझ का निर्माण करने के लिए संवाद की प्रक्रिया को भी बढ़ावा देना होगा। मणिपुर में शांति की स्थापना के लिए सरकार को स्थानीय जन प्रतिनिधियों, समाज के प्रमुख व्यक्तियों, और धार्मिक नेताओं के साथ मिलकर काम करना होगा। 

अंततः, तिरंगा फहराने और शांति की अपील का संदेश तो राज्य में सौहार्द की शुरुआत हो सकता है, लेकिन वास्तविक स्थिरता के लिए इससे कहीं अधिक समर्पण और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। तभी इस प्रकार की राजनीतिक हिंसा को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है और राज्य में शांति स्थापित की जा सकती है।

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
- Sponsored Advert -