नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच एक नई आफत आ धमकी है. इन दिनों एक ऐसे वायरस का खतरा बढ़ गया है, जिससे बच्चे सबसे अधिक संक्रमित हो रहे हैं. ब्रिटेन के अस्पतालों में गंभीर श्वसन संक्रमण से ग्रसित बच्चों के केस बढ़ रहे हैं. इसमें रेस्पिरेटरी सिनसिटियल वायरस यानी Respiratory Syncytial Virus (RSV) नाम के संक्रमण में बेमौसम वृद्धि शामिल है और यह वायरस दो महीने के बच्चों में भी देखा गया है. इससे श्वास की नली में सूजन (ब्रोंकियोलाइटिस) जैसे रोगों के लिए अस्पताल में एडमिट होने वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है जो फेफड़ों की सूजन यानी ब्रोंकाइटिस के जैसा है.
आमतौर पर सर्दी की बीमारी, माने जाने वाले वाला RSV 2021 की गर्मी में क्यों बढ़ रहा है? कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाई पाबंदियों ने दूसरे श्वसन संबंधी वायरसों को भी रोक दिया. कई देशों में इन पाबंदियों को हटाने की वजह से कई श्वसन रोग फिर से फैल रहे हैं. RSV एक आम श्वसन रोगाणु है और हम में से लगभग सभी दो वर्षों की आयु तक इससे संक्रमित होते हैं. अधिकतर लोगों में इस बीमारी के हल्के लक्षण, जुकाम, नाक बहना और खांसी होते हैं. ये लक्षण आमतौर पर एक या दो सप्ताह में बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं. लगभग तीन में से एक बच्चे को RSV के कारण ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है. इससे श्वास की नली में सूजन आ जाती है और मरीजों का तापमान बढ़ जाता है, साथ ही उन्हें सांस लेने में समस्या होती है. कभी-कभी यह बेहद गंभीर बीमारी बन जाती है. यदि किसी युवा व्यक्ति को सांस लेने में बहुत समस्या होने लगती है, तो यह लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जिससे तापमान 38 सेल्सियस के पार पहुंच सकता है, होंठ नीले पड़ सकते है तथा सांस लेना बेहद कठिन हो सकता है. बच्चों में इस बीमारी के चलते, वह कुछ खाने से इनकार कर सकते हैं तथा उन्हें बहुत समय तक पेशाब नहीं आती. एक महीने के बच्चों की श्वास नली बहुत छोटी होने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ती है.
अधिकतर मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है, किन्तु कई बार ब्रोंकियोलाइटिस जानलेवा हो जाता है. प्रतिवर्ष लगभग 35 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं और इनमें से लगभग पांच फीसद बच्चों की मौत हो जाती है. ऐसा लगता है कि कोरोना के कारण हाथ धोने, मास्क पहनने और लोगों के बीच आपसी संपर्क कम होने से 2020-21 की सर्दी में काफी कम लोगों को फ्लू हुआ. RSV के मामले में भी यह सही है. अध्ययनों के अनुसार, विगत वर्षों के मुकाबले उत्तरी गोलार्द्ध वाले देशों में ब्रोंकियोलाइटिस के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 83 फीसद कम रही.
सभी संक्रमणों की तरह, इस बीमारी से निपटने में भी एक मजबूत इम्युनिटी होना जरुरी है. हम जानते हैं कि ‘न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज’ गंभीर बीमारी से बचाती हैं. हालांकि, RSV से इम्युनिटी लंबे समय तक नहीं रहती, इसलिए हमारे में से अधिकतर लोग अपने जीवन में फिर से संक्रमित हो जाते हैं. यही कारण है कि कई कोशिशों के बाद भी अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इसके लिए कुछ वैक्सीन विकसित किए जा रहे हैं. कई वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है, जिससे यह उम्मीद मिलती है कि हम अपने बच्चों को RSV से उत्पन्न होने वाले ब्रोंकियोलाइटिस से बचा सकते हैं.
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