महाशिवरात्रि पर जगह-जगह मंदिरों में लोग रुद्राभिषेक का आयोजन करवाते हैं। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही ग्रह संबंधित सभी दोष दूर होते हैं। वही महाशिवरात्रि में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का खास महत्व है। इसलिए इस पावन दिन रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ को खुश किया जा सकता है। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं रुद्राभिषेक से जुड़ी खास बातें।अभिषेक शब्द का तात्पर्य यह है कि स्नान कराना।इसके अलावा रुद्राभिषेक का अर्थ यह है कि भगवान रुद्र का अभिषेक यानी कि शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना। मौजूदा वक्त में अभिषेक रुद्राभिषेक के रूप में ही विश्रुत है। वही अभिषेक के कई रूप व प्रकार होते हैं। श्रेष्ठ ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक करवाना शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है।
क्यों जरूरी है रुद्राभिषेक
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव हैं। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र। यानी कि रुद्र रूप शिव हमारे सभी दुखों को जल्द ही खत्म कर देते हैं। यानी कि रुद्राभिषेक करने पर हमारे दुख खत्म होते हैं। जो दुख हम सह रहे होते हैं उसका कारण भी हम ही होते हैं। जाने-अनजाने में किए गए प्रकृति के खिलाफ व्यवहार के परिणामस्वरूप ही हम दुख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक आरंभ कैसे हुआ
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जब विष्णु भगवान के पास अपने जन्म का कारण पूछने गए तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया। इसके साथ ही यह भी बताया कि उनके कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी मानने को तैयार नहीं हुए और दोनों में खतरनाक लड़ाई हुई। वही इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए । इस लिंग का आदि और अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु जी को कहीं पता नहीं चला तो हार मान ली और लिंग का अभिषेक किया। जिससे भगवान खुश हुए। कहा जाता है कि यहीं से रूद्राभिषेक आरंभ हुआ।
महाशिवरात्रि तिथि
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।
शुक्रवार, 21 फरवरी 2020
शुभ मुहू्र्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी।
रात्रि प्रहर पूजा मुहू्र्त
शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।
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