भारतीय संस्कृति में तिलक लगाने का बहुत महत्व है. हर शुभ कार्य , पूजा और श्राद्ध कर्म से पहले भी माथे पर तिलक लगाने की परम्परा है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिलक लगाने के भी नियम है और इसका एक अनुशासन है.जिसका पालन करना चाहिए.
कहाँ लगाएं तिलक : कहा गया है कि तिलक हमेशा बैठकर ही लगाया जाना चाहिए.पद्म पुराण में कहीं इस बात का उल्लेख किया गया है कि ललाट के दाहिने भाग में श्री ब्रह्मा, वाम हिस्से में शिवजी तथा मध्य भाग में श्रीकृष्ण वास करते हैं. इसलिए मध्य का अंश खाली रखना चाहिए ताकि ललाट पर श्री विष्णु जी का वास बना रह सके . एक नियम यह भी है कि आराध्य पर चढ़ाने से बचे हुए चंदन से ही तिलक लगाना चाहिए. इसी तरह इस पुराण में शिव, पार्वती जी से कहते हैं कि वैष्णवों के “V” आकार के बनाए जाने वाले तिलक के बीच में जो स्थान है उसमे लक्ष्मी एवं नारायण का वास है.
तिलक लगाने का तरीका : तिलक उँगलियों से लगाया जाता है . लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं जिसका पालन करना चाहिए.ब्राम्हण को तिलक लगाने के बाद ही तर्पण, पूजन आदि करना चाहिए .तिलक लगाने का नियम यह है कि देवी-देवताओं को अनामिका उंगली द्वारा, स्वयं को मध्यमा उंगली द्वारा, पितृगणों को तर्जनी उंगली द्वारा तथा ब्राह्मण आदि को अंगूठे द्वारा तिलक लगाया जाना चाहिए. इस नियम का प्रयोग भी किया जाता है.
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