नई दिल्ली : देसी मुद्रा रुपये में कमजोरी का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछले सत्र से 17 पैसे कमजोर होकर 69.88 पर खुला। पिछले कारोबारी सत्र में बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 28 पैसे की कमजोरी के साथ 68.71 पर बंद हुआ था। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक विवाद के गहराने की आशंकाओं से शेयर बाजारों में पिछले सत्र में कारोबारी रुझान कमजोर बना हुआ था, जिससे रुपये पर दबाव रहा।
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डॉलर में चुकाया जाता है मूल्य
जानकारी के मुताबिक अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है। इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर। अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं। यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है।
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आयात-निर्यात पर भी पड़ता है असर
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है। इस पर आयात एवं निर्यात का भी असर पड़ता है। दरअसल हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है।
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