भारत के लिए सऊदी अरब का शानदार विकल्प बना रूस, इस तरह दे रहा मोटा फायदा

भारत के लिए सऊदी अरब का शानदार विकल्प बना रूस, इस तरह दे रहा मोटा फायदा
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नई दिल्ली: अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों के बावजूद सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस, भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा मुल्क बन गया है। पहले नंबर पर इराक का नाम है। भारत में तेल का सबसे अधिक आयत इराक से होता है। इंडस्ट्री डेटा के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से भारत की तेल रिफाइनरी भारी डिस्काउंट पर रूस का तेल खरीद रही हैं। दरअसल, कई प्रकार के प्रतिबंधों के बीच रूस के तेल के खरीदार सीमित हो गए हैं। यही कारण है कि भारत जैसे कुछ देशों को काफी रियायत पर तेल मिल रहा है।

बता दें कि भारतीय तेल रिफाइनरियों ने मई में रूस से लगभग 2.5 करोड़ बैरल तेल खरीदा है। यह भारत के कुल तेल आयात का 16 फीसदी से ज्यादा है। डेटा के अनुसार, भारत में समुद्र के रास्ते रूस से क्रूड आयल का आयात भी बढ़ा है। अप्रैल माह में पहली बार समुद्र के रास्ते भारत में रूस के तेल की हिस्सेदारी पांच फीसदी रही थी। वहीं, 2021 में और 2022 की पहली तिमाही में यह एक फीसदी से भी कम रही थी। बता दें कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत, रूस से क्रूड आयल खरीदने के अपने फैसले का बचाव करता आया है। 

भारत के तेल मंत्रालय ने गत माह कहा था कि रूस से तेल की खरीद भारत के कुल तेल खपत की तुलना में कम है। मई में इराक से भारत को सर्वाधिक तेल का इम्पोर्ट किया गया। रूस के दूसरे स्थान पर आने के बाद अब सऊदी अरब तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।  भारत ऐसे वक़्त में रूस के क्रूड आयल पर भारी छूट का फायदा उठा रहा है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के भाव आसमान छू रहे हैं। अमेरिका और चीन के बाद भारत तेल का उपभोग करने वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत में तेल का 85 फीसदी से अधिक हिस्सा इम्पोर्ट होता है। 

यूक्रेन पर रूस के अटैक के बाद से रूस के यूरल्स तेल के खरीदार कम ही बचे हैं। कई देशों और कंपनियों ने रूस के ऊर्जा उत्पादों को नहीं खरीदने का निर्णय लिया है, जिसके कारण रूस के तेल की कीमतें गिर गई हैं। इसी का फायदा भारत की तेल रिफाइनरियों ने उठाया और 30 डॉलर प्रति बैरल तक के भारी डिस्काउंट पर रूस का क्रूड आयल खरीदना शुरू किया। इससे पहले ढुलाई लागत अधिक होने से रूस से कच्चा तेल खरीदना भारतीय कंपनियों के लिए लाभ का सौदा नहीं था।

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