अक्सर देखा जाता हैं कि घर पर जब भी हम अकेले होते हैं तो बोरियत होने लग जाती हैं. ऐसे में आप बाहर घूमने निक लजाते हैं और दूसरों के साथ आप अपना समय बिताते हैं. लेकिन जरा सोचिए कि आप घर से बाहर घूमने के लिए निकलते हैं और आपको कोई नहीं दिखाई दे तो कैसा महसूस होगा. यानि पूरे गांव में आपके अलावा कोई ना हो तो कैसा लगेगा. सोच कर ही घबरा जायेंगे आप. पर हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो पूरे गांव में अकेला रहता है.
दरअसल, रुस के सीमा पर मौजूद डोबरुसा गांव में रहने वाले गरीसा मुनटेन के साथ जो कि इस गाँव में रहने वाले अकेले इंसान हैं. बता दें, एक समय था जब इस गाँव में 200 लोग रहा करते थे. बताया जाता है कि सोवियत संघ के टूटने से इस गांव के सभी लोग यहां से शहरों की ओर पलायन कर गए. जबकि कुछ लोगों का निधन हो गया. जिससे अब इस गांव में केवल एक ही शख्स बचा है जिसका नाम है गरीसा मुनटेन. गरीसा मुनटेन भले ही अकेले रहते हैं. लेकिन उनके साथ गाँव के बहुत से जीव रहते हैं और वे उनसे बातें भी करते है. यानि इंसानों में रहने वाले वही सिर्फ एक हैं.
गरीसा इस गांव में अकेले होने के बावजूद भी 42 मुर्गियां, 120 बत्तखें, 50 कबूतर, पांच कुत्ते, 9 टर्की पक्षी, दो बिल्लियां और कई हजार मधुमक्खियां के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. गरीसा मुनटेन ने इस बारे में बताया कि उनके गांव के करीब 50 घर थे, लेकिन अब अधिकतर लोग सोवियत संघ के टूटने के बाद नजदीकी शहर मालडोवा, रुस या फिर यूरोप में जाकर बस चुके हैं. 65 वर्षीय गरीसा मुनटेन के अनुसार पहले गांव के दूसरे छोर पर जेना और लिडा लोजिंस्की रहते थे और वह अक्सर उनसे फोन पर या मिलकर बातें करते रहते थे. लेकिन अब उनकी मौत के बाद वह बिल्कुल अकेले हो गए. इसके बाद वो अब जानवरों से बातचीत करते हैं.
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