मॉस्को: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग की वजह से जिन भारतीय छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, उनके लिए एक सुकून देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को रूस अपने यहाँ के कॉलेजों में पढ़ने की सुविधा उपलब्ध कराएगा। रूस ने ऐसे भारतीय स्टूडेंट्स को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए आमंत्रित किया है।
चेन्नई में रूस के महावाणिज्य दूत ओलेग अवदीव ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि, 'यूक्रेन छोड़ने वाले भारतीय छात्र रूस में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम तक़रीबन एक ही जैसा है। वे लोगों की भाषा जानते हैं। उनमें से ज्यादातर रूसी बोलते हैं। रूस में उनका स्वागत है।' बता दें कि युद्ध से पहले यूक्रेन में लगभग 18000 भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ते थे। युद्ध शुरू होने के बाद भारत सरकार ने रेस्क्यू कर इन्हें भारत लाया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रियों की टीमें भी गठित की गई थीं, जो यूक्रेन से बॉर्डर साझा करने वाले देशों में जाकर यूक्रेन से स्टूडेंट्स को भारत लाने में लगे थे।
दरअसल, भारत में डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए भारत सरकार अखिल भारतीय स्तर पर प्रति वर्ष NEET की परीक्षा आयोजित करती है। हर साल लगभग 8 लाख छात्र इस परीक्षा को पास करते हैं। देश के मेडिकल कॉलेजों में तक़रीबन 90,000 सीटें हैं और इनमें से आधी सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हैं। ऐसे में सीटों की कमी बाकी के स्टूडेंट्स को विदेशों का रुख करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्राइवेट सेक्टर के कॉलेजों में लगभग 20 लाख रुपए सालाना खर्च होता हैं। वहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए लगभग 10 लाख रुपए सालाना खर्च करने होते हैं।
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