बुधवार को रूस ने बताया कि कोरोना के कारण भारत को एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति में विलंब हो सकता है. हालांकि भारत और रूस दोनों ही सभी समझौतों के समय पर अमल के लिए प्रतिबद्ध हैं. इससे पहले फरवरी में रूसी फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्नीकल कोऑपरेशन के उपनिदेशक व्लादिमीर ड्रोझोव ने कहा था कि रूस 2021 के आखिर तक भारत को एस-400 की आपूर्ति शुरू कर देगा. बता दें कि भारत ने अक्टूबर 2018 में अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस से पांच एस-400 प्रणालियों की खरीद का समझौता किया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जी-7 के विस्तार संबंधी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव पर भारत में रूसी दूतावास के उपप्रमुख रोमन बबुश्किन ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर हालिया बातचीत में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर बातचीत की थी. इस पहल पर संज्ञान लेते हुए सामान्यत: हमारी राय है कि जब वैश्विक चुनौतियों और वैश्विक प्रशासन की बात आती है तो जी-7 आउट ऑफ डेट लगता है. लिहाजा जी-20 जैसा ज्यादा प्रतिनिधियों वाला तंत्र जरूरी है.
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इसके अलावा रोमन बबुश्किन ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए अहम हैं. दोनों ही देश पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध (स्टैंडऑफ) का द्विपक्षीय वार्ता के जरिये समाधान कर लेंगे. भारत में रूसी दूतावास के उपप्रमुख रोमन बबुश्किन ने कहा, 'दो महान सभ्यताओं के बीच शांतिपूर्ण पड़ोस की खातिर हमें सकारात्मक घटनाक्रम की उम्मीद है. बबुश्किन ने कहा कि आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), पांच देशों के ब्रिक्स और रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय फोरम की बैठकों में भारत और चीन दोनों के साथ रूस अपनी वार्ता को आगे बढ़ाने का इच्छुक है.
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