ओटावा: कनाडा में इस्लामी आतंकवादी संगठन हिज्ब उत तहरीर द्वारा खलीफा के राज (खिलाफत) की स्थापना पर एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य दुनिया में इस्लाम का शासन लागू करना है। यह कॉन्फ्रेंस 18 जनवरी 2025 को मिसीसॉगा में आयोजित होने वाली थी, लेकिन स्थानीय विरोध के बाद इसे हैमिलटन शहर में स्थानांतरित कर दिया गया है। मिसीसॉगा की मेयर ने इस आयोजन का विरोध करते हुए कहा था कि वे पुलिस को सूचित करेंगे और इस पर कार्रवाई करेंगे।
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— Elon Musk (@elonmusk) January 5, 2025
कॉन्फ्रेंस का विषय है – ‘खिलाफत की वापसी में देर लगा रहे रुकावटों को हटाना’। इस आयोजन के दौरान, हिज्ब उत तहरीर के सदस्य यह बताएंगे कि खलीफा का राज फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इस्लामी देशों के खिलाफ़ संघर्ष के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। संगठन का यह दावा है कि दुनिया में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के जवाब में, खिलाफत की स्थापना ही एकमात्र समाधान है।
हिज्ब उत तहरीर एक कट्टरपंथी संगठन है, जो 1953 में स्थापित हुआ था और इसका उद्देश्य दुनिया में इस्लाम के शरिया कानून के तहत शासन लागू करना है। भारत, इज़राइल, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, रूस, तुर्की और बांग्लादेश जैसे देशों में इसे प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन कनाडा में यह बिना किसी रोक-टोक के अपनी गतिविधियाँ जारी रखे हुए है। कनाडा में इस संगठन के समर्थक खुलेआम मौजूद हैं, और इस्लामिक राज की स्थापना की अपनी योजनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।
हालांकि, कनाडा की सरकार ने अभी तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है, लेकिन कई लोग, जिनमें कनाडा के सांसद और ट्विटर के मालिक एलन मस्क भी शामिल हैं, इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कनाडा आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। इस मामले में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
यहां सवाल यह भी उठता है कि जब आतंकवादी संगठन पूरी दुनिया में इस्लामिक राज लाने की साजिश कर रहे हैं, तो इन साजिशों के खिलाफ़ अच्छे मुसलमानों की आवाज़ कितनी प्रभावी होगी? क्या कोई मुस्लिम बुद्धिजीवी सामने आएगा जो यह कहेगा कि हिज्ब उत तहरीर और अन्य आतंकवादी संगठन गलत काम कर रहे हैं और जो वे कर रहे हैं, वह गैर-इस्लामी है? आतंकवादियों के इस कदम का समर्थन करने वाले क्या अपने धर्म का असली रूप समझ पाएंगे और दुनिया को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि यह इस्लाम का वास्तविक संदेश नहीं है?
यह मुद्दा एक बार फिर से यह सोचने को मजबूर करता है कि क्या आतंकवादियों के खिलाफ मुसलमानों के बीच से कोई मजबूत विरोध सामने आएगा, और इस्लाम की वास्तविकता को सभी के सामने रखेगा।