भारतीय न्याय प्रणाली में सुप्रीम कोर्ट के सबसे पहले न्यायाधीश माने जाने वाले कापड़िया जी का जन्म 29 सितंबर 1947 में हुआ था। उन्हौने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर रहकर काफी लंबे समय तक काम किया है और न्यायाधीश के पद पर होते हुए कई बड़े मामले में फैसले भी दिए हैं। अपने लंबे कानूनी करियर मेें उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक बॉम्बे बार में एक वकील के रूप में भी कार्य किया है। एक विशेष न्यायालय न्यायाधीश होने के साथ ही वे उत्तरांचल में मुख्य न्यायाधीश के पद पर भी रहे हैं, इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे।
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एच.एस कपाड़िया भारत के मुख्य न्यायालय में पहले न्यायाधीश थे, और उन्हें मई 2010 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जज के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायाधीश एस.एच कापड़िया की शादी शहनाज से हुई थी। इसके बाद 2012 में वे अपने पद से सेवानिवृत्त हुए और 4 जनवरी 2016 में न्यायाधीश एस.एच कापड़िया की मुंबई में आकस्मिक मृत्यु हो गई।
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एस.एच कापड़िया के कार्यकाल में सबसे ज्यादा चर्चित वोडाफोन का निर्णय था, जो कपाडिया जी के कार्यकाल के सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल मामलों में से एक था। न्यायाधीश कापड़िया 30 अप्रैल 2005 को संपत्ति के वारिस से संबंधित एक ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें उन्होंने डीएनए परीक्षण करने की संभावना से इंकार कर दिया था।
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