जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में मची कुर्सी की लड़ाई अब नए मोड़ पर आ गई है। आज मंगलवार (11 अप्रैल) को कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन करने वाले हैं। उससे पहले कांग्रेस हाईकमान ने पायलट को इस कदम पर चेताया है। कांग्रेस ने पायलट के अनशन को पार्टी हितों के खिलाफ और पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया है। बता दें कि, राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। वहीं, गहलोत और पायलट में काफी लंबे समय से सियासी खींचतान चल रही है।
पायलट का कहना है कि गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार के उन मुद्दों पर कोई एक्शन नहीं लिया, जिनको उठाकर कांग्रेस ने राज्य की सत्ता हासिल की थी। इसको लेकर पायलट आज जयपुर के शहीद स्मारक पर अनशन पर बैठेंगे। इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने कांग्रेस नेताओं को कोई औपचारिक निमंत्रण तो नहीं भेजा है। किन्तु, माना जा रहा है कि उनके समर्थक इसमें शामिल होंगे। लिहाजा, कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के प्रयास में जुटी हुई है। इसी क्रम में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने सोमवार (10 अप्रैल) रात एक बयान जारी किया है। इस बयान में रंधावा ने कहा है कि पायलट को इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर चर्चा करनी चाहिए थी। उनका इस प्रकार अनशन करना कांग्रेस हितों के विरुद्ध है।
रंधावा ने आगे कहा कि, 'सचिन पायलट कल (मंगलवार) को पूरे दिन का अनशन करने वाले हैं। उनका यह अनशन पार्टी हितों के खिलाफ है और ये पार्टी विरोधी गतिविधि है। यदि अपनी ही सरकार से उन्हें कोई समस्या है, तो मीडिया और जनता की जगह पार्टी के प्लेटफॉर्म पर चर्चा की जा सकती है। मैं 5 माह से राजस्थान कांग्रेस का प्रभारी हूँ। मगर, पायलट ने इस मुद्दे पर मुझसे कभी बात नहीं की। मैं उनके संपर्क में हूँ और अभी भी उनसे बातचीत का अनुरोध करता हूँ। वह निर्विवाद रूप से कांग्रेस पार्टी के एक मजबूत स्तंभ हैं।'
इसके अलावा एक अन्य बयान में रंधावा ने कहा है कि उन्होंने पायलट के साथ फोन पर बात की है। साथ ही इस प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शन करने की जगह पार्टी के मंचों पर मामलों को उठाने को कहा है। रंधावा ने कहा कि, 'वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की माँग को लेकर सचिन पायलट जिन दो पत्रों का दावा कर रहे हैं, उनके संबंध में कभी जिक्र ही नहीं किया गया।'
बता दें कि, राजस्थान में जब 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई थी, तभी से गहलोत और पायलट में खींचतान चल रही है। पायलट समर्थक, युवा होने का हवाला देते हुए उन्हें (पायलट को) सीएम बनाने की मांग करते रहे हैं। हालाँकि, कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को गद्दी सौंपी थी और टकराव से बचने के लिए पायलट को डिप्टी सीएम बना दिया था। लेकिन फिर, दोनों में विवाद हुआ और पायलट से डिप्टी सीएम पद छीन लिया गया। अब भी पायलट समर्थक यही मांग कर रहे हैं कि, गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं, अब पायलट को मौका दिया जाए। वहीं, चुनाव के एकदम नज़दीक आने पर पायलट द्वारा किए जा रहे अनशन से ये सवाल भी उठ रहे हैं कि, आखिर 5 साल बाद ही पायलट को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की याद क्यों आई ? क्या ये पायलट का कोई सियासी दांव है, जो राजस्थान की राजनीति में उलटफेर कर सकता है ? बहरहाल, इन सवालों के जवाब तो वक़्त आने पर ही मिलेंगे, लेकिन पायलट के इस कदम ने गांधी परिवार और पूरी कांग्रेस की टेंशन जरूर बढ़ा दी है।
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