सोमवार को 'विश्व बाल दिवस' के मौके पर क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने युवाओ को ‘अपने सपनों का पीछा करने’ की सीख दी. सचिन ने ये भी बताया कि वे बचपन में काफी शरारती थे. लेकिन जब से वो टीम इंडिया में चयनित हुए उन्होंने अपनी शरारते कम कर दी और खेल पर ध्यान देना शुरू कर दिया. इस खास दिन मास्टर ब्लास्टर सचिन ने बच्चो के साथ समय बिताया. इतना ही नहीं ज्ञान के साथ-साथ सचिन ने स्पेशल ओलंपिक भारत से जुड़े इन खास बच्चो को क्रिकेट की कुछ टिप्स भी सिखाई.
सचिन यू नहीं क्रिकेट जगत के भगवान बन गए है. हर इंसान की तरह उन्होंने भी अपनी जिंदगी में उतार-चढ़ाव देखे है. खूब मेहनत की है तब जाकर आज उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. सचिन ने बच्चो से उनके जीवन में की मेहनत के बारे में बताते हुए कहा कि, "जिंदगी उतार चढ़ावों से भरी है. मैं तब 16 साल का था जब पाकिस्तान पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे पर गया था. इसके बाद 24 साल तक खेलता रहा. अपने करियर में मैनें भी कई उतार चढ़ाव देखे."
उन्होंने आगे कहा कि, "मेरे करियर का सबसे बड़ा क्षण 2011 में विश्व कप में जीत थी. आप सभी को अपने लक्ष्य को पाने तक संघर्ष जारी रखना चाहिए." बता दे 15 नवम्बर 1989 को ही सचिन ने क्रिकेट जगत में डेब्यू किया था और 16 नवम्बर 2013 को उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.
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