'कर्नाटक शासन को अस्थिर करने के लिए केरल में दी जा रही बलि..', कांग्रेस नेता के आरोप पर क्या बोली वामपंथी सरकार ?

'कर्नाटक शासन को अस्थिर करने के लिए केरल में दी जा रही बलि..', कांग्रेस नेता के आरोप पर क्या बोली वामपंथी सरकार ?
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कोच्ची: केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने आज शनिवार (1 जून) को कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के उस दावे को नकार दिया, जिसमें उन्होंने इल्जाम लगाया था कि उत्तरी केरल में एक मंदिर के पास उनके (शिवकुमार), सीएम सिद्धरमैया और कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए पशु बलि दी गई थी। केरल के देवस्वोम मंत्री के राधाकृष्णन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि शिवकुमार ने सीएम सिद्धरमैया और कांग्रेस सरकार और खुद उनके (शिवकुमार) को लक्ष्य करके राज्य के कन्नूर जिले के तालीपरम्बा में राजराजेश्वर मंदिर के पास पशु की बलि दिए जाने का बड़ा इल्जाम लगाया है।

केरल के मंत्री ने कहा कि, "हमने दावे की पड़ताल की और मालाबार देवस्वोम बोर्ड से भी संपर्क किया। हमें जो प्रारंभिक रिपोर्ट मिली है उसके मुताबिक, मंदिर में या उसके आसपास ऐसा कुछ नहीं हुआ है। देवस्वोम बोर्ड ने भी इसकी पुष्टि की है।" उन्होंने कहा कि इस बात की छानबीन होनी चाहिए कि शिवकुमार ने ऐसा इल्जाम क्यों लगाया ? राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार इस बात की जांच कर रही है कि क्या कर्नाटक के डिप्टी सीएम द्वारा लगाए गए आरोपों जैसा केरल में किसी दूसरी जगह कुछ हुआ है, मगर प्रारंभिक जांच के मुताबिक, राज्य में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

उन्होंने यह भी कहा कि 1968 से ही पशु बलि पर कानूनी रोक है और इसलिए केरल में ऐसा होना संभव ही नहीं है। संबंधित मंदिर की प्रबंध समिति ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता शिवकुमार के आरोपों का खंडन किया था और उनके दावों को 100 फीसदी झूठा बताया था। विशेष शाखा ने राज्य पुलिस प्रमुख को एक रिपोर्ट भी सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि केरल में किसी मंदिर के पास किसी पशु की बलि दिए जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

बता दें कि,कर्नाटक के डिप्टी सीएम शिवकुमार ने गुरुवार को दावा किया था कि उनपर (शिवकुमार), सिद्धरमैया और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए केरल के एक मंदिर में ‘शत्रु भैरवी यज्ञ’ नाम का एक अनुष्ठान किया गया, जिसमें जानवरों की बलि दी जा रही है। किसी के नाम का खुलासा किए बगैर उन्होंने इल्जाम लगाया था कि कर्नाटक में कुछ राजनीतिक लोग ऐसा अनुष्ठान करवाए और इसके लिए अघोरियों से सलाह ली जा रही थी।

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