मुंबई। निवेशकों के रूपए न लौटाने के आरोपों को लेकर न्यायालयीन कार्रवाई का सामना करने वाला सहारा समूह परेशानियों से घिरा नज़र आ रहा है। दरअसल सहारा को अपने जीवन बीमा कारोबार को आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल को देने के लिए निर्देशित किया गया है। अब इस मामले में सहारा ने बीमा नियामक के विरूद्ध न्यायालय की शरण जाने की बात कही है। बीमा नियामक के निर्णय को लेकर सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय ने इरडा के चेयरमैन से 24 जुलाई को मुलाकात की थी और कुछ समय की मांग की थी।
ऐसे में इरडा ने एक प्रबंधक नियुक्त किया था जो कि सहारा के कार्य को प्रबंधित करने के लिए था। दरअसल बीमा नियामक ने कहा है कि प्रवर्तक सहारा समूह बीमा कारोबार के लायक और उपयुक्त नहीं रह गया है और इसमें 78 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गयी है। मगर सहारा समूह ने इस बात को नकार दिया है। उसका कहना है कि नियामक गलत तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंचा है। सहारा लाइफ 2004 से बीमा कारोबार में है।
उसकी संपत्तियाॅं देनदारी से अधिक है। साथ ही सहारा पर उसके ग्राहक को पाॅलिसी संबंधी भुगतान न करने का मामला नहीं बना है। कंपनी द्वारा बीमाधारकों के हित के विरूद्ध काम नहीं करने का उल्लेख किया और कहा कि इसने अपने ग्राहकों का ध्यान रखा है। मगर बीमा नियामक ने कहा है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के कारोबार को सोमवार 31 जुलाई से ही संभाले। हालांकि अब इस मामले में सहारा ने न्यायालय में जाने की बात कही है। आईसीआईसीआई बीमा नियामक को सहारा लाइफ को लेकर अपनी रिपोर्ट पहले ही दे चुका है।
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