जब इस धरती पर बाबा साईं निवास करते थे, तो उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य था की कोई भी व्यक्ति दुखी न हो और प्राणिमात्र की पीडा हरने वाले साई हरदम कहते है मैं मानवता की सेवा के लिए ही पैदा हुआ हूं। मेरा उद्देश्य शिरडी को ऐसा स्थल बनाना है। जहां न कोई गरीब होगा, न अमीर, न धनी और न ही निर्धन। कोई खाई और कैसी भी दीवार बाबा की कृपा पाने में बाधा नहीं बनती। बाबा कहते मैं शिरडी में रहता हूं, लेकिन हर श्रद्धालु के दिल में मुझे ढूंढ सकते हो। एक के और सबके। जो श्रद्धा रखता है, वह मुझे अपने पास पाता है। साई ने कोई भारी-भरकम बात नहीं कही। वे भी वही बोले जो हर संत ने कहा है। सबको प्यार करो, क्योंकि मैं सब में हूं। अगर तुम पशुओं और सभी मनुष्यों को प्रेम करोगे, तो मुझे पाने में कभी असफल नहीं होगे। यहां मैं का मतलब साई की स्थूल उपस्थिति से नहीं है।
साई तो प्रभु के ही अवतार थे और गुरु भी। जो अंधकार से मुक्ति प्रदान करता है। ईश के प्रति भक्ति और साई गुरु के चरणों में श्रद्धा यहीं से तो बनता है। इष्ट से सामीप्य का संयोग। दैन्यता का नाश करने वाले साई ने स्पष्ट कहा था। एक बार शिरडी की धरती छू लो, हर कष्ट छूट जाएगा। बाबा के चमत्कारों की चर्चा बहुत होती है। लेकिन स्वयं सांई नश्वर संसार और देह को महत्व नहीं देते थे। भक्तों को उन्होंने सांत्वना दी थी। पार्थिव देह न होगी। तब भी तुम मुझे अपने पास पाओगे। अहंकार से मुक्ति और संपूर्ण समर्पण के बिना साई नहीं मिलते। कृपापुंज बाबा कहते हैं पहले मेरे पास आओ खुद को समर्पित करो। फिर देखो वैसे भी जब तक मैं का व्यर्थ भाव नष्ट नहीं होता। प्रभु की कृपा कहां प्राप्त होती है। साई ने भी चेतावनी दी थी।
साईं के ये वचन किसी अमृत वाणी से कम नहीं
श्री सांई बाबा के चमत्कार आज भी देखने को मिलते हैं
इसलिए भगवान गणेश को मोदक और चूहा पसंद है
आज भी इस शहर में विराजते है भगवान भोलेनाथ