दिलीप कुमार की बर्थ एनिवर्सरी पर सायरा ने लिखा भावुक पोस्ट

दिलीप कुमार की बर्थ एनिवर्सरी पर सायरा ने लिखा भावुक पोस्ट
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अपने समय के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार की आज बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर उनकी पत्नी और एक्ट्रेस सायरा बानो ने अपने दिवंगत अभिनेता को याद किया है और सोशल मीडिया पर उनके साथ जुड़े कई रोमांटिस और मजेदार किस्से भी सुनाएं। सायरा बानो ने इस बारें में कहा है कि साहब बहुत सादगी पसंद इंसान थे। वे न सिर्फ उनके लिए, बल्कि जानने वाले सभी लोगों के लिए किसी गिफ्ट से कम नहीं थे।

एक्ट्रेस सायरा बानो ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया है। इतना ही नहीं वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, 'कुछ लोग आपकी जिंदगी में हमेशा के लिए आते हैं। आपकी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। ऐसा ही तब हुआ, जब दिलीप साहब हमेशा के लिए मेरी जिंदगी में आए। हमारे विचार एक रहे। हमारा अस्तित्व एक रहा। दिन बदल सकते हैं और मौसम बीत सकते हैं, लेकिन साहब हमेशा मेरे साथ रहे हैं। वे मेरे हाथ में हाथ डालकर चलते रहे हैं। आज, उनके जन्मदिन पर, मैं सोचती हूं कि वे न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि अपने जानने वाले सभी लोगों के लिए किसी बड़े तोहफे की तरह रहे'। 

सायरा बानो ने आगे लिखते हुए कहा है कि, 'साहब जब भी मेरे आस-पास होते, तो वे कुछ और ही होते। वे भीतर से एक बच्चे की तरह मासूम और चंचल, लापरवाह, और बेपरवाह रहे। वह बिल्कुल सहजता से हंसते। उनकी हंसी किसी मासूम युवा जैसी थी। अपने सबसे सरल क्षणों में वे खुद को खो देते थे जैसे कि हमसे परे किसी दुनिया का अस्तित्व ही न हो'।  सायरा बानो ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, 'साहब के बारे में एक बात तो मैं पक्के तौर पर कह सकती हूं कि वे कभी भी एक जगह नहीं बैठते थे। वे मिजाज से घुमक्कड़ थे। जब भी उन्हें शूटिंग से छुट्टी मिलती, तो वे हमें अपने साथ खूबसूरत जगहों पर ले जाते। मेरे भाई सुल्तान के बच्चे, परिवार के दूसरे लोग और मैं अक्सर उनके साथ उनकी यात्राओं पर जाते थे। और इस तरह उनके साथ हमारी कुछ बेहद खूबसूरत यादें बन जातीं'।

बिना तैयारी सायरा को ले गए साथ: अपनी बात को जाए रखते हुए सायरा बानो ने आगे लिखा, 'आज भी उनकी सरलता और सहजता याद करती हूं तो हैरानी होती है। मुझे एक किस्सा बहुत याद आता है। मैं उन्हें विदा करने एयरपोर्ट गई थी। जब वे जाने की तैयारी कर रहे थे, तो मैंने उन्हें अलविदा कहा। उन्होंने मेरी ओर मुड़कर पूछा, 'सायरा, तुम क्या कर रही हो'? मैंने जवाब दिया, "मेरी शूटिंग कैंसिल हो गई है, इसलिए कुछ नहीं'। इसके बाद जो हुआ, उनसे मुझे हैरान कर दिया। वे मुझे अपने साथ ले गए! उन दिनों, फ्लाइट टिकट सीधे काउंटर पर बुक किए जाते थे। साहब ने तुरंत अपने सेक्रेटरी को मेरे लिए टिकट बुक कराने के लिए भेजा और इस तरह वे मुझे भी साथ ले गए। आप कल्पना कीजिए, मैंने बहुत ही सादा कॉटन की सलवार कमीज पहनी थी। बिना और कपड़ों की पैकिंग के साहब मुझे अपने साथ शादी में ले गए। मैंने उसी सादा ड्रेस में शादी समारोह में शिरकत की। साहब मेरे साथ हाथ में हाथ डाले चल रहे थे। उनकी सादगी उनकी पहचान थी और यही उनकी सबसे बड़ी खूबी थी।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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सायरा बानो ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, 'सरप्राइज की बात करें तो मैं उनके जन्मदिन को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। मैं साहब के लिए बढ़िया कश्मीरी स्वेटर और घड़ियों का चुनाव करती। मगर, वे बिना किसी हिचकिचाहट के उन्हें किसी को भी दे देते, जो उन्हें पसंद करता। पहले तो मुझे उनकी ये आदत समझ ही नहीं आई। कोई इंसान इतनी कीमती चीजें इतनी आसानी से कैसे अलग कर सकता है? फिर मुझे एहसास हुआ कि दिलीप साहब अपने भीतर इतने संतुष्ट थे कि कोई भी भौतिक चीज लोगों से मिलने वाले प्यार के आगे उनके लिए मायने नहीं रखती थी। दुनिया के लिए वे बेशक कोहिनूर हो सकते हैं, लेकिन मेरे लिए वे एक ऐसे शख्स थे, जिन्होंने साधारण को असाधारण बना दिया। जन्मदिन मुबारक, यूसुफ जान'!

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