साल 2009 में फिल्म वॉन्टेड के साथ ही मसाला फिल्मों के सुपरस्टार के तौर पर उभरकर आए सलमान ने पिछले कुछ सालों में अपनी लार्जर दैन लाइफ भूमिकाएं निभाकर देश में हीरो वरशिपिंग संस्कृति को बखूबी कायम रखा है और यही कारण है कि वे अपनी फिल्मों के लिए क्रिटिक्स की परवाह भी नहीं करते हैं और ऑडियन्स के फैसले को ही अपनी फिल्म के लिए अंतिम फैसला सलमान खान मानते हैं.
सलमान ने अपनी फिल्म भारत की कामयाबी पर खुशी जताते हुए हाल ही में कहा कि मैं बेहद खुश हूं कि हर किसी के काम को सराहा जा रहा है और फिल्म को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है. हर फिल्म की सफलता जरूरी है. ये एक ऐसी फिल्म है जिसके लिए हमने काफी कड़ी मेहनत की थी. अपनी अदाकारा पर बात करते हुए सलमान खान ने कहा कि जब कोई सीन लिखा जाता है और मैं उस सीन की इंटेन्सिटी को फील नहीं कर पाता हूं. फिर मैं राइटर, डायरेक्टर के साथ बैठता हूं और फिल्म के सीन पर तब तक काम करता हूं, जब तक उसे मैं उस सीन के साथ कनेक्शन बनाने में कामयाब नहीं हो जाता. मुझे लगता है कि ये किसी एक्टर के लिए अच्छी बात कतई नहीं है.
आगे अभिनेता ने कहा कि अगर आप मिस्टर बच्चन या दिलीप कुमार साहब को कोई भी सीन दे देंगे, चाहे वो कितना ही खराब सीन क्यों ना हो, वे उस सीन पर अपनी छाप छोड़ ही देंगे और उसे आसानी से विश्वास लायक बना ही देंगे. वे किसी खराब सीन में अपने इमोशन्स, कॉमेडी या अपनी एक्टिंग के द्वारा उसे बेहतर बना ही देंगे. मुझे लगता है कि मुझे इन चीजों पर काम करने की फ़िलहाल काफी जरूरत है.'
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