यह खबर आम मतदाताओं के लिए सोच का विषय है कि जिन राजनीतिक दलों को अपना मत देकर अपना भाग्य बदलने की ख्वाइश रखते हैं, लेकिन उनके हालात नहीं बदलते.लेकिन जिन्हें अपना कर्णधार समझते हैं उन राजनीतिक पार्टियों की पांच साल में पौ बारह हो जाती है और वे करोड़ों में खेलने लगती हैं. यह काल्पनिक नहीं हकीकत है. यदि क्षेत्रीय दलों की बात करें तो यूपी की समाजवादी पार्टी है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में सपा की कुल संपत्ति में करीब 198 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 से 2015-16 के बीच सपा द्वारा चुनाव आयोग और आयकर विभाग को को जो सूचनाएं दी उसके अनुसार उसकी संपत्ति 2011-12 में 212.86 करोड़ रुपये थी जो 2015-16 में बढ़कर 634.96 करोड़ रुपये हो गई है.उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का शासन था, उस दौरान सपा की संपत्ति में ज्यादा वृद्धि हुई . बता दें किअखिलेश 2012 से 2017 तक यूपी के मुख्यमंत्री थे जबकि पार्टी अध्यक्ष उनके पिता मुलायम सिंह यादव थे.
इसी तरह रिपोर्ट में एआईएडीएमके, शिवसेना और आईएफबी ने भी अपनी संपत्ति में निरंतर बढ़ोतरी दिखाई है. एआईएडीएम के तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी है.जिसकी इन पांच सालों में संपत्ति करीब 155 फीसदी बढ़ गई. 2011-12 में एआईएडीएमके की कुल संपत्ति 88.21 करोड़ थी, जो 2015-16 में बढ़कर 224.87 करोड़ हो गई. वहीं शिवसेना की संपत्ति पांच सालों में 92 फीसदी बढ़ी है.2011-12 में शिव सेना की संपत्ति 20.59 करोड़ थी जो बढ़कर 2015-16 में 39.68 करोड़ हो गई. यह तो केवल दो तीन पार्टी का हिसाब है.जबकि बीजेपी, कांग्रेस ,बीएसपी आप और अन्य पार्टियों के संपत्ति के आंकड़े सामने नहीं आए हैं जो निश्चित ही ज्यादा होंगे.
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